Patna News:पटना जंक्शन पर तड़पती रही गर्भवती मां,संवेदनशून्य बना रहा रेल प्रशासन,गुहार लगाते रहे परिजन,वर्ल्ड क्लास दावों की काली हकीकत

Patna News: महिला प्रेगनेंसी की हालत में थीं। दर्द की चीखें ट्रेन के डिब्बे में गूंज रही थीं, मगर पटना जंक्शन की 'वर्ल्ड क्लास' तैयारियों में इंसानियत कहीं बाढ़ के पानी में बह गई थी।

Patna Junction
वर्ल्ड क्लास सपनों के बीच पटना जंक्शन पर तड़पती रही गर्भवती मां- फोटो : reporter

Patna News: बारिश के कहर से पटना की तस्वीर यूं तो बदली-बदली सी नजर आ रही है, मगर जहन में जो तस्वीर सबसे ज़्यादा चुभी, वो थी एक बेसहारा महिला की  जो  एक कोच की सीट पर दर्द से तड़पती रही। नाम था पूनम देवी। पेशेंट थीं। प्रेगनेंसी की हालत में थीं। दर्द की चीखें ट्रेन के डिब्बे में गूंज रही थीं, मगर पटना जंक्शन की 'वर्ल्ड क्लास' तैयारियों में इंसानियत कहीं बाढ़ के पानी में बह गई थी।

पूनम देवी गया जिले के गुंडारू शंकर बीघा से इलाज के लिए पटना डॉक्टर से दिखाने आ रही थीं। रांची जनशताब्दी ट्रेन से यात्रा कर रहीं थीं, मगर दर्द ने ऐसा घेरा कि बच्चा ट्रेन में ही हो गया। आधा बच्चा माँ के पेट से बाहर था और आधा अंदर। परिजन बदहवासी में पुलिस, रेलवे प्रशासन, यात्रियों, महिला पुलिस  हर किसी से मदद की गुहार लगाते रहे, मगर नजारा ऐसा था जैसे सबने मानो कानों में रुई डाल रखी हो।

रेलवे स्टेशन, जिसे एयरपोर्ट की तरह विकसित करने की बातें की जा रही हैं, वहां प्राथमिक मेडिकल सुविधा भी समय पर न मिल सके , ये किस विकास की तस्वीर है? GRP इंस्पेक्टर को कॉल किया गया, रेलवे हेल्पलाइन पर संपर्क किया गया, महिला पुलिस को सूचित किया गया  पर नतीजा? "हॉस्पिटल को कॉल कर दिया गया है", "डॉक्टर रास्ते में हैं", "थोड़ा इंतजार कीजिए" और इसी इंतजार में एक मां सीट पर तड़पती रही। पुलिस मैडम तो कोच के अंदर जाने की जहमत तक नहीं उठाईं।

वो महिला सीट पर बैठी थी, दर्द से कराहती हुई। परिजन थे , मददगार बने, बच्चा आ चुका था, लेकिन न कोई स्ट्रेचर, न नर्स, न डॉक्टर। केवल सवाल, केवल अनसुनी फरियादें और केवल सरकारी टालमटोल।

पटना की बारिश ने वैसे तो हर रास्ते को बंद कर दिया है,  सड़कों से लेकर रेलवे प्लेटफॉर्म तक जलजमाव ने हाल बेहाल कर रखा है। मगर पूनम देवी की कहानी बताती है कि पटना स्टेशन के कर्मचारियों और  पुलिस की इंसानियत की भी बाढ़ में डूबकर मौत हो चुकी है।

रेलवे स्टेशन पर यात्रियों के लिए कौन सी सुविधाएं उपलब्ध हैं? शौचालय से लेकर वेटिंग रूम तक में गंदगी, मेडिकल हेल्प तक समय पर नहीं, पुलिस प्रशासन से जवाबदेही तक गायब। क्या यही है 'वर्ल्ड क्लास स्टेशन' का ख्वाब?

क्या ये वही पटना है, जिसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर एयरपोर्ट जैसे जंक्शन के नाम पर वायरल हो रही हैं? क्या यही वो विकास है, जिसमें एक मां को दर्द में तड़पते हुए अपनी असहायता से जूझना पड़ता है?

रेलवे मंत्री महोदय, आपकी चमचमाती घोषणाओं के बीच ये एक मां की कराहती हुई पुकार है, जिसे आपने शायद सुना ही नहीं। सुन लीजिए, वरना अगली बार पटना जंक्शन नहीं, ‘पत्थर’ जंक्शन कहा जाएगा, जहां दिल नहीं धड़कते, केवल सिस्टम की बेरुख़ी धड़कती है।

सवाल वही है कि अगर वर्ल्ड क्लास बनाने में इतनी ही फुर्ती है, तो इंसानियत को बुनियादी सुविधा देना क्या इतना मुश्किल है?