Patna sex racket:पटना के गेस्ट हाउस से जिस्मफरोशी का शर्मनाक भंडाफोड़, रंगरेली मनाते पकड़ाए कई युवक युवती, ‘खाना-खजाना’ होटल सील

Patna sex racket: होटल महज होटल नहीं, एक गुनाहों का अड्डा था, जहां जिस्म की नीलामी चल रही थी, पर्दे के पीछे, दरवाज़े बंद, लेकिन कारोबार खुले आम!

Patna sex racket
पटना के गेस्ट हाउस से जिस्मफरोशी का शर्मनाक भंडाफोड़- फोटो : social Media

Patna sex racket: पटना की ज़मीन देह व्यापार के खुलासे से दहल उठी है। पटना जिले के इस शांत माने जाने वाले अनुमंडल क्षेत्र में ‘खाना-खजाना’ नामक होटल सह गेस्ट हाउस से एक ऐसा राज़ सामने आया है, जिसने न सिर्फ प्रशासन को झकझोर कर रख दिया, बल्कि आम जनमानस को भी सन्न कर दिया। यह महज होटल नहीं, एक गुनाहों का अड्डा था, जहां जिस्म की नीलामी चल रही थी —पर्दे के पीछे, दरवाज़े बंद, लेकिन कारोबार खुले आम!

पटना डीएम डॉ. त्याग राजन एसएम के आदेश पर इस बदनाम गेस्ट हाउस को आखिरकार सील कर दिया गया। यह कोई आम कार्रवाई नहीं थी, बल्कि एक सर्जिकल स्ट्राइक थी—अपराध के अड्डे पर, नफ्स की मंडी पर, और गुनाह के गर्भ में पल रहे दलदल पर।

कार्रवाई के दौरान मजिस्ट्रेट विकास कुमार, सीओ श्वेता कुमारी, नगर थाना अध्यक्ष दिनेश कुमार समेत पुलिस बल की पूरी टीम मौजूद रही। जिस जगह से पाप की परतें उघाड़ी गईं, वो पालीगंज थाना से महज़ कुछ कदमों की दूरी पर थी। हैरत की बात ये कि यह सब प्रशासन की नाक के नीचे, महीनों से, धड़ल्ले से चल रहा था — और चुप्पी थी, सन्नाटा था, जैसे अपराध ने इंसानियत को गिरवी रख लिया हो।

एक सप्ताह पूर्व हुई छापेमारी में पुलिस ने तीन युवक और तीन युवतियों को आपत्तिजनक स्थिति में पकड़ा था। उनमें कुछ नाबालिग छात्राएं भी थीं, जिनके स्कूल बैग गवाह बने उनकी मासूमियत की लूट का। पूछताछ के बाद सभी को बाल सुधार गृह भेजा गया, लेकिन सवाल ये है कि वो मासूम अपने घर से कैसे फिसले इस अंधेरी दुनिया की तरफ? कौन हैं उनके बहकाने वाले? कहां हैं वो एजेंट्स जो इन फूलों को दलदल में धकेलते हैं?

डीएसपी राजीव चंद्र सिंह ने खुलासा किया कि यह छापेमारी एक सोची-समझी रणनीति के तहत की गई थी, जिसमें पुख़्ता सबूत जुटाए गए थे। गेस्ट हाउस के मालिक और मैनेजर अभी भी फरार हैं, लेकिन उन पर शिकंजा कसता जा रहा है। पुलिस की टीमें लगातार दबिश दे रही हैं।

जांच में यह भी सामने आया कि इस होटल में 'डिमांड पर डिलीवरी' का रैकेट चल रहा था ग्राहक के इशारे पर लड़कियां, यहां तक कि नाबालिग बच्चियां भी, पहुंचाई जाती थीं। स्कूली बच्चों का इस गेस्ट हाउस में बार-बार आना एक और गहरी साजिश की ओर इशारा करता है  कहीं ये कोई ‘हनी ट्रैप’ सिंडिकेट तो नहीं, जो युवाओं को ब्लैकमेल कर इस्तेमाल करता था?

पालीगंज में अब दबी जबानों में यह चर्चा आम हो चली है कि और भी कई ऐसे गेस्ट हाउस हैं, जिनमें गुनाह अपनी आरामगाह बनाए हुए हैं। 'खाना-खजाना' की आड़ में जो देह का सौदा चलता रहा, वो न सिर्फ कानून, बल्कि समाज के मुंह पर भी एक ज़ोरदार तमाचा है।

अब देखना यह है कि प्रशासन इस एक कार्रवाई पर ही अपनी पीठ थपथपाएगा या फिर इस पूरे "जिस्मफरोशी सिंडिकेट" की जड़ तक जाकर उसे नेस्तनाबूद करेगा। सवालों की कतार लंबी है, लेकिन जवाब अब वक्त से चाहिए, वरना अगली ‘छापेमारी’ किसी और स्कूल बैग से मासूमियत की चीख़ों को बाहर निकाल सकती है।