Muslim Population: दुनिया में काफी तेजी से बढ़ रही है मुसलमानों की आबादी! हिंदुओं की भी जनसंख्या में दिखा बदलाव, जानें मौजूदा स्थिति
Muslim Population: प्यू रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, 2010 से 2020 के बीच मुस्लिम समुदाय दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाला धार्मिक समूह बन गया, जबकि ईसाई धर्म की हिस्सेदारी घटी है। जानिए इस परिवर्तन के पीछे के कारण।
Muslim Population: 2010 से 2020 के बीच मुस्लिम समुदाय में 34.7 करोड़ की रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की गई, जो अन्य सभी धार्मिक समूहों की संयुक्त वृद्धि से भी अधिक है। यह वृद्धि मुख्यतः एशिया-प्रशांत और मध्य-पूर्व क्षेत्रों में देखी गई। एशिया-प्रशांत में 16.2% और मध्य-पूर्व में मुस्लिम आबादी पहले से ही 94.2% है।
प्यू रिसर्च के वरिष्ठ जनसांख्यिकी विशेषज्ञ कॉनराड हैकेट के अनुसार, मुस्लिम समुदाय की औसत आयु 24 वर्ष है, जो कि वैश्विक औसत से कम है। युवा जनसंख्या और उच्च प्रजनन दर इसके मुख्य कारण हैं। उदाहरण के लिए, 2015-2020 में मुस्लिम महिलाओं की औसत प्रजनन दर 2.9 बच्चे प्रति महिला रही, जबकि गैर-मुस्लिम महिलाओं में यह आंकड़ा 2.2 था।मुस्लिम समुदाय में धर्म-परिवर्तन का योगदान नगण्य है। इसका मतलब है कि उनकी वृद्धि पूरी तरह से प्राकृतिक जनसंख्या वृद्धि पर आधारित है।
भारत में धार्मिक परिदृश्य में बदलाव
भारत में भी इस अवधि के दौरान उल्लेखनीय परिवर्तन देखे गए। भारत में मुस्लिम आबादी 14.3% से बढ़कर 15.2% हो गई, जबकि हिंदू आबादी में मामूली कमी आई है—80% से घटकर 79%।
2020 तक भारत में हिंदुओं की संख्या 1.2 अरब थी, जो वैश्विक हिंदू आबादी का 94% है। हालांकि इनकी वैश्विक हिस्सेदारी स्थिर बनी रही क्योंकि हिंदू धर्म में धर्म-परिवर्तन की दर लगभग शून्य है और प्रजनन दर वैश्विक औसत के बराबर है।प्यू की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 2050 तक दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बन सकता है, जो वर्तमान में इंडोनेशिया के पास है।
ईसाई धर्म में गिरावट: धर्म-परित्याग एक प्रमुख कारण
दुनिया में ईसाई आबादी 2.18 अरब से बढ़कर 2.3 अरब हो गई, लेकिन उनकी वैश्विक हिस्सेदारी 30.6% से घटकर 28.8% हो गई। यह गिरावट मुख्यतः यूरोप, उत्तरी अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में धार्मिक परित्याग के कारण हुई।प्यू के अनुसार, "प्रत्येक व्यक्ति जो वयस्क होने पर ईसाई बनता है, उसके मुकाबले तीन लोग इसे छोड़ देते हैं।" इस प्रवृत्ति को देखते हुए, ईसाई धर्म की स्थिति चुनौतीपूर्ण बन गई है।
धार्मिक रूप से असंबद्ध लोगों की वृद्धि
धार्मिक रूप से असंबद्ध यानी 'नास्तिक' लोगों की संख्या में भी भारी वृद्धि दर्ज की गई है। यह संख्या 27 करोड़ बढ़कर 1.9 अरब हो गई है, जो वैश्विक आबादी का 24.2% है। यह मुस्लिमों के बाद दूसरा सबसे तेजी से बढ़ने वाला समूह है।खासकर एशिया-प्रशांत क्षेत्र में, विशेष रूप से चीन में, 78.3% नास्तिक आबादी निवास करती है।
बौद्ध धर्म में गिरावट: जनसांख्यिकीय कारण
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि प्रमुख धार्मिक समूहों में बौद्ध धर्म ही ऐसा था, जिसमें वास्तविक गिरावट देखी गई। इसका मुख्य कारण चीन में वृद्ध होती जनसंख्या और जन्म दर में कमी को माना गया है।
धर्म-परिवर्तन के स्थिर आंकड़े: हिंदू और मुस्लिम
रिपोर्ट के अनुसार, हिंदू और मुस्लिम समुदाय में धर्म-परिवर्तन की दर सबसे कम है। केवल 100 में से 1 वयस्क ही ऐसा होता है जो इन धर्मों को छोड़ता या अपनाता है। यह स्थिरता इन्हें जनसांख्यिकीय रूप से मजबूत बनाती है।
भविष्य की संभावनाएं: 2050 तक की दृष्टि
प्यू रिसर्च की गणना के अनुसार, यदि वर्तमान रुझान जारी रहे, तो 2050 तक मुस्लिम और ईसाई आबादी लगभग बराबर हो जाएगी मुस्लिम 2.8 अरब और ईसाई 2.9 अरब। हिंदू आबादी भी 1.4 अरब तक पहुंचने की संभावना है।भारत के संदर्भ में, यह दुनिया में सबसे बड़ी मुस्लिम आबादी वाला देश बन सकता है।