N4N DESK - छात्रों के अपार कार्ड बनवाने को लेकर लापरवाही बरतने को लेकर डीईओ ने एक साथ 3000 सरकारी शिक्षकों के वेतन पर रोक लगा दी है। वहीं जिले के 271 प्राइवेट स्कूलों के यू-डायस कोड और लाइसेंस को रद्द करने की चेतावनी दी है। शिक्षा विभाग की इस बड़ी कार्रवाई के बाद लापरवाह स्कूल प्रबंधन में हड़कंप मच गया है।
बता दें कि इस महीने के अंत तक बिहार में सभी सरकारी और प्राइवेट स्कूलों में पढ़नेवाले छात्रों का अपार कार्ड तैयार किया जाना है। वहीं भोजपुर जिले में स्कूली छात्र-छात्राओं का अपार कार्ड बनाने में सरकारी स्कूल के प्राचार्य और शिक्षक मनमानी कर रहे हैं। यही स्थिति प्राइवेट स्कूलों में भी नजर आ रही है।
जिसको लेकर जिले की शिक्षा विभाग ने कड़ी कार्रवाई करते हुए सरकारी और गैर सरकारी मिलाकर 861 स्कूलों के लगभग तीन हजार प्राचार्य और शिक्षकों पर बड़ी कार्रवाई की है।
110 स्कूलों के 1000 शिक्षकों का वेतन कटा
भोजपुर जिले में 110 सरकारी में अब तक अपार कार्ड बनाने का कार्य शुरू नहीं किया गया है। इस लापरवाही को देखते हुए इन स्कूलों के प्रधानाध्यापक प्रभारी प्रधानाध्यापक और सभी वर्ग के शिक्षक जिनकी कुल संख्या लगभग एक हजार के आसपास होगी की एक दिन के वेतन कटौती की गई है।
इसी तरह जिले के 480 सरकारी स्कूलों में अब तक महज 10 प्रतिशत ही अपार कार्ड बना है। इससे नाराज होकर जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी 480 स्कूलों के प्राचार्य और सभी शिक्षकों जिनकी संख्या लगभग दो हजार के आसपास होगी का अगले आदेश तक वेतन बंद कर दिया है।
प्राइवेट स्कूलों को दो दिन की चेतावनी
वहीं दूसरी तरफ 271 निजी स्कूलों के संचालकों द्वारा कार्य शुरू नहीं करने के कारण इन सभी को दो दिनों में अपार कार्ड शत प्रतिशत नहीं बनाने पर यू डायस कोड और पंजीकरण संख्या रद्द करने की चेतावनी दी गई है।
चेतावनी के बाद भी कार्य में नहीं आई तेजी
मालूम हो भोजपुर जिले में वर्ग एक से लेकर वर्ग 12 तक के सभी सरकारी और निजी विद्यालयों के बच्चों को भविष्य में सभी प्रकार की सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए अपार कार्ड तेजी से बनाया जा रहा है। इस कार्य में आधा दर्जन से ज्यादा बार चेतावनी दिए जाने के बाद भी स्कूलों के द्वारा मनमानी की जा रही है।
इसका खामियाजा शिक्षा विभाग के वरीय पदाधिकारी को स्टेट लेवल की बैठक में भुगतना पड़ रहा है। आज की स्थिति में अपार कार्ड बनाने में जिले की रैंकिंग 26वां से लेकर 28वां स्थान तक है।
इस कारण सभी प्रकार की स्टेट लेवल की बैठक में जिला स्तरीय पदाधिकारी को फटकार सुननी पड़ रही है। इस विकट स्थिति के बाद इस तरह की बड़ी कार्रवाई की गई है।