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West Champaran News-डीएम सर हमारा भी स्कूल बनवा दीजिये...बेतिया में पेड़ के नीचे पढ़ रहे छात्र-छात्राओं ने लगाई गुहार, पढ़िए पूरी खबर

West Champaran News-पश्चिम चम्पारण के प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय भभटा के बच्चियो का, जो भवन के अभाव में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर है। विद्यालय में 7 कमरे है। जिसमें दो कमरे में प्लस टू और दो में स्मार्ट क्लास चलता है।

पेड़ के नीचे पढ़ाई

West Champaran News - डीएम सर हमारा भी स्कूल का निर्माण करवा दिजिए। हम भी कमरे मे बैठ कर पढ़ना चाहते है। यह कहना है पश्चिम चम्पारण के प्लस टू उच्च माध्यमिक विद्यालय भभटा के बच्चियो का, जो भवन के अभाव में पेड़ के नीचे पढ़ने को मजबूर है। विद्यालय में 7 कमरे है। जिसमें दो कमरे में प्लस टू और दो में स्मार्ट क्लास चलता है। नरकटियागंज प्रखंड के भभटा पंचायत स्थित प्लस टू माध्यमिक विद्यालय भभटा के बच्चे पेड़ के नीचे बैठकर पढ़ाई करते हैं। पेड़ के पास ही शिक्षक कुर्सी लगाकर ब्लैक बोर्ड पर बच्चों को शिक्षा दिक्षा देते हैं। लेकिन इसपर किसी का ध्यान नहीं है। कहने को तो इस स्कूल को हाईस्कूल का दर्जा शिक्षा विभाग ने दे दिया है।  

लेकिन सुविधा नहीं दी और खामियाजा यहाँ पढने वाले नामांकित बच्चे व बच्चियों को उठाना पड़ता है। इसके कारण शिक्षक भी परेशान रहते हैं। इस विद्यालय की दो दो क्लासेज प्रतिदिन इसी पेड़ के नीचे चलती है। बच्चों की पढ़ाई बाधित न हो। इसके लिए शिक्षक पेड़ की टहनियों को दो क्लास में बांट कर पठन पाठन का कार्य करते हैं। पेड़ की एक टहनी को चौथी कक्षा बना दिया गया तथा दुसरी टहनी को छठी कक्षा में बांट दिया गया है। दोनों टहनियों के बीच में दो शिक्षक कुर्सी और ब्लैक बोर्ड लेकर बैठ जाते हैं और बच्चे बोरी बिछाकर पढाई करते हैं। हालांकि दोनों क्लास के शिक्षकों की आवाजें वहां मौजूद सभी बच्चों को सुनाई देती है।

 चौथी क्लास के बच्चों का कहना है कि यहां पढ़ने में बहुत ध्यान लगाना पड़ता है। कभी कभी ध्यान भटकने की सूरत में छठी क्लास का प्रश्न हम लिखकर चले जाते है। और उसका हल घर पर नहीं कर पाते हैं। यही हाल छठी क्लास के बच्चों का भी होता है। परंतु मजबूरी है। यह समस्या सालों से बच्चे झेल रहे हैं। कभी तीसरी तो कभी सातवीं आठवीं और हाईस्कूल के बच्चों को भी पेड़ के नीचे पढ़ना पड़ता है। आलम यह है कि प्रतिदिन बदल बदल कर पेड़ के नीचे दो कक्षाएं चलती है और पेड़ की छाव में खुले आसमान के नीचे बच्चों का पढ़ना अब उनकी आदत बन गई है। स्कूल में 753 बच्चे हैं, 663 प्रतिदिन उपस्थित रहते हैं।

पश्चिम चम्पारण से आशीष की रिपोर्ट

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