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Bettiah Raj Land: बेतिया राज के जमीन कब्जाधारियों पर बिहार सरकार कार्रवाई के मूड में,केके पाठक लेने जा रहे बड़ा एक्शन,यह कागज नहीं रहा तो खैरनहीं..

Bettiah Raj land - बेतिया राज की जमीन पर अवैध कब्जा करनेवाले लोगों के खिलाफ राज्य सरकार ने एक्शन की तैयारी शुरू कर दी है। सरकार ने साफ कर दिया है कि बेतिया राज की जमीन अब सरकार की है और इसे कब्जे से खाली कराया जाएगा।

 Bettiah Raj Land: बेतिया राज के जमीन कब्जाधारियों पर बिहार सरकार कार्रवाई के मूड में,केके पाठक लेने जा रहे बड़ा एक्शन,यह कागज नहीं रहा तो खैरनहीं..

Bettiah Raj - बिहार विधानसभा में बेतिया राज संपत्ति विधेयक 2024 पारित होने के बाद अब राज्य सरकार इस जमीन पर कब्जा करनेवालों के खिलाफ एक्शन लेने की तैयारी में जुट गई है। बिहार के भू-राजस्व मंत्री डा. दिलीप जायसवाल ने यह साफ कर दिया है कि जिन लोगों ने जमीन पर कब्जा किया है, उनसे जमीन वापस ली जाएगी। मामले में केके पाठक को जिम्मेदारी सौंपी गई है। 

राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप जायसवाल ने सदन में एक सवाल का जवाब देते हुए कहा कि विधेयक पारित होने के बाद अब बेतिया राज की भूमि का बड़ा हिस्सा सरकार के अधीन हो जाएगा। इस दौरान उन्होंने यह भी साफ कर दिया कि जिन लोगों ने सालों से उस जमीन पर अपना कब्जा जमाया है, उनके कागजों की भी जांच की जाएगी। मूल कागज नहीं होने पर जमीन को खाली कराया जाएगा

7960 करोड़ की है जमीन

बता दें कि बेतिया राज के पास करीब 15358 एकड़ जमीन थी। जिसकी अनुमानित कीमत 7960 करोड़ रुपए है। अब इस जमीन को राज्य सरकार अपने संरक्षण में लेने जा रही है। वहीं वर्तमान में पश्चिम चंपारण में 6505 एकड़ और पूर्वी चंपारण में 3219 एकड़ भूमि पर कब्जा किया गया है। जिसे खाली कराने की बात कही जा रही है। वहीं यूपी बिहार के कई जिलों में भी बेतिया राज की जमीन होने की बात कही जा रही है। जिनके बारे में जानकारी जुटाई जा रही है। 

अंतिम राजा का कोई वारिस नहीं होने के बाद किसी ने नहीं की देखभाल

गौरतलब है कि बेतिया राज के अंतिम राजा हरेंद्र किशोर सिंह का 26 मार्च 1893 को निधन हो गया था। उनकी दो रानियां थीं- महारानी शिव रत्ना कुंवर और महारानी जानकी कुंवर। लेकिन दोनों रानियों से कोई संतान नहीं होने के कारण राजा हरेंद्र किशोर सिंह का कोई उत्तराधिकारी भी नहीं बन सका। जबकि राजा की मौत के 13 साल बाद महारानी शिव रत्ना कुंवर की मृत्यु 1896 में हुई थी। 

वहीं महारानी जानकी कुंवर बेतिया राज का प्रबंधन करने में सक्षम नहीं थीं, इसलिए इसका प्रबंधन ‘कोर्ट ऑफ वार्ड्स’ ने अपने हाथ में ले लिया था। महारानी जानकी कुंवर की मृत्यु 1954 में हो गई थी।







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