Bihar betiya raj property news: बिहार विधानसभा में मंगलवार (26 नवंबर) को बेतिया राज विधेयक पारित हुआ, जिसके तहत बेतिया राज की 15,358 एकड़ जमीन का मालिकाना हक अब बिहार सरकार के पास होगा। इन जमीनों की अनुमानित कीमत लगभग 8000 करोड़ रुपये है। यह जमीन बिहार और उत्तर प्रदेश के कई जिलों में फैली हुई है।
विधेयक का असर यूपी-बिहार के किसानों और मालिकों की चिंता
बिहार सरकार ने स्पष्ट किया है कि यह जमीन अब सरकारी उपयोग के लिए सुरक्षित रहेगी। अस्पताल, मेडिकल कॉलेज, और स्कूल बनाने के लिए इनका उपयोग किया जाएगा।
अवैध कब्जों पर कार्रवाई:
बेतिया राज की अधिकांश जमीन पर अवैध कब्जा हो चुका है। भू-माफियाओं द्वारा बेची गई जमीन के वर्तमान मालिकों के लिए संकट खड़ा हो सकता है। बेतिया राज की जमीनें बिहार और यूपी के कई जिलों में फैली हैं। जिसमें बिहार के पटना, छपरा, सीवान, गोपालगंज, और मोतिहारी जिला शामिल है। वहीं उत्तर प्रदेश के गोरखपुर, बस्ती, महाराजगंज, बनारस, प्रयागराज, कुशीनगर, और मिर्जापुर में बेतिया राज की अधिकांश जमीन है।
विधेयक की जरूरत क्यों पड़ी?
बिहार सरकार के राजस्व मंत्री दिलीप जयसवाल ने बताया कि बेतिया राज की अंतिम रानी की कोई संतान नहीं थी। इसके कारण जमीनों पर भू-माफियाओं और सफेदपोश लोगों का अवैध कब्जा हो गया। कोर्ट ऑफ वार्ड्स के माध्यम से अंग्रेजों ने इन जमीनों का प्रबंधन किया था, लेकिन वर्तमान में यह प्रभावी नहीं रहा। विधेयक पारित कर अब बिहार सरकार ने इन जमीनों का पूर्ण नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया है।
जमीन का उपयोग
बिहार सरकार का लक्ष्य है कि इन जमीनों का उपयोग:
मेडिकल कॉलेज
स्कूल और अस्पताल
अन्य सार्वजनिक सुविधाओं के लिए किया जाए।
यूपी-बिहार में समन्वय और चुनौती
उत्तर प्रदेश की जमीन पर अवैध कब्जों को हटाने के लिए बिहार सरकार यूपी सरकार के साथ समन्वय कर रही है। यह प्रक्रिया भू-माफियाओं और वर्तमान जमीन मालिकों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकती है।
प्रभावित मालिकों के लिए संकट
जिन लोगों ने भू-माफियाओं से जमीन खरीदी है, उनकी मालिकाना वैधता समाप्त हो सकती है। जिनके पास जमीन पर कब्जा है, उन्हें कानूनी कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है। अदालतों में लंबित मुकदमे भी इस विधेयक के बाद समाप्त माने जाएंगे।