Bihar bettiah raj land: बिहार सरकार ने ऐतिहासिक बेतिया राज की 15,000 एकड़ जमीन को अपने अधिकार में ले लिया है। यह जमीन बिहार और उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में फैली हुई है, जिसकी कुल अनुमानित कीमत 8,000 करोड़ रुपये से अधिक है। इस जमीन पर लाखों लोगों का अवैध कब्जा है, जिन्हें हटाने के लिए राजस्व पर्षद के अध्यक्ष केके पाठक को जिम्मेदारी दी गई है।
बेतिया राज की संपत्ति का विवरण:
पश्चिम चंपारण: 9,758.58 एकड़
पूर्वी चंपारण: 5,320.51 एकड़
अन्य जिलों (सिवान, गोपालगंज, पटना, सारण) में छोटी भूमि।
उत्तर प्रदेश:
कुशीनगर, गोरखपुर, वाराणसी, प्रयागराज, बस्ती, अयोध्या, महाराजगंज, मिर्जापुर आदि जिलों में फैली।
बेतिया राज का इतिहास
बेतिया राज के अंतिम शासक हरेंद्र किशोर सिंह का 1893 में निधन हुआ। उनकी संपत्ति को कोर्ट ऑफ वार्ड्स एक्ट 1879 के तहत संरक्षित किया गया। स्वतंत्रता के बाद यह जमीन बिहार सरकार के राजस्व विभाग के अधीन आ गई।
अवैध कब्जे की स्थिति और कार्रवाई
पूर्वी और पश्चिमी चंपारण में कुल 3,661.11 एकड़ जमीन पर अतिक्रमण।
मोतिहारी: 2,617.46 एकड़
बेतिया: 1,043.65 एकड़
बेतिया में 11,600 अतिक्रमणकारियों की पहचान, 8,528 पर केस दर्ज।
मोतिहारी में 1,214 लोगों पर केस दर्ज।
केके पाठक की देखरेख में काम
केके पाठक की देखरेख में जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की योजना की गई है। जिलाधिकारियों को अतिक्रमणकारियों पर प्राथमिकी दर्ज करने और सूची तैयार करने के निर्देश। कब्जा हटाने की कार्रवाई कभी भी शुरू हो सकती है।
विधानमंडल में विरोध
CPI-ML विधायक बीरेंद्र गुप्ता ने इसे 'काला कानून' बताया। विपक्ष ने आरोप लगाया कि इससे 1885 के बाद बसे लाखों लोग बेघर हो सकते हैं। सरकार ने स्पष्ट किया कि प्रभावित लोगों की आपत्तियां सुनी जाएंगी और उनका समाधान किया जाएगा।
सरकार का उद्देश्य
अधिग्रहित जमीन का उपयोग सामुदायिक और कल्याणकारी योजनाओं में किया जाएगा। भूमि को सरकारी प्रोजेक्ट्स और विकास कार्यों के लिए उपयोग में लाया जाएगा। भूमि पर सरकारी नियंत्रण से इसका प्रभावी और पारदर्शी उपयोग सुनिश्चित होगा। राजस्व और भूमि सुधार विभाग इस संपत्ति का संरक्षक बनेगा।