Crime In Bhagalpur:चोरों का साहस इस हद तक बढ़ गया है कि वे भगवान के स्थानों को भी नहीं बख्श रहे हैं। नवगछिया पुलिस जिला के भवानीपुर थाना क्षेत्र में बीती रात चोरों ने तीन मंदिरों में चोरी की घटना को अंजाम देकर न केवल श्रद्धा पर प्रहार किया, बल्कि पुलिस प्रशासन को भी स्पष्ट चुनौती दी।
चोरी का सिलसिला जारी, दान पात्र भी नहीं बचे
ताजा मामला भवानीपुर थाना क्षेत्र के भ्रमरपुर गांव स्थित प्राचीन सिद्ध शक्तिपीठ मणिदीप दुर्गा मंदिर, बीरबन्ना गांव के काली मंदिर और हनुमान मंदिर का है। चोरों ने दान पात्रों के ताले तोड़कर लाखों रुपये के नकद और कीमती आभूषण चुरा लिए। इससे पहले भी लगभग 10 दिन पूर्व इसी क्षेत्र के एक मंदिर में चोरी की वारदात हुई थी, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते चोरों के हौसले बुलंद होते जा रहे हैं।
सीसीटीवी फुटेज से उम्मीदें
चोरी की सूचना पाकर भवानीपुर थानाध्यक्ष मौके पर पहुंचे और छानबीन शुरू की। मंदिर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज खंगाली जा रही है। पुलिस और ग्रामीण मिलकर आरोपियों की पहचान करने की कोशिश कर रहे हैं।
आस्था पर चोट, समाज की चुप्पी पर सवाल
सुबह जब भक्त पूजा-अर्चना के लिए मंदिर पहुंचे और दान पात्रों के ताले टूटे देखे, तो पूरा क्षेत्र स्तब्ध रह गया। यह घटना न केवल धार्मिक आस्था पर चोट है, बल्कि समाज और प्रशासन की उदासीनता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
मंदिर समिति अध्यक्ष का बयान
मंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष डॉ. हिमांशु मोहन मिश्रा ने बताया कि पहले हुई चोरी की घटना पर नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह पुलिस प्रशासन की लापरवाही और चोरों के मनोबल बढ़ने का प्रमुख कारण है। चोरी की खबर क्षेत्र में आग की तरह फैल गई। स्थानीय लोग आक्रोशित हैं और प्रशासन से त्वरित कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कई ग्रामीणों का कहना है कि यदि जल्द कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए, तो वे बड़े आंदोलन का सहारा लेंगे।
समाज और प्रशासन दोनों की जिम्मेदारी
यह घटना सिर्फ पुलिस की विफलता नहीं, बल्कि समाज की सामूहिक जिम्मेदारी को भी रेखांकित करती है। आखिर क्यों हम अपने धार्मिक स्थलों को सुरक्षित नहीं रख पा रहे हैं? प्रशासन को चाहिए कि इन घटनाओं को गंभीरता से लेते हुए दोषियों को जल्द गिरफ्तार करे और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए। मंदिर जैसी पवित्र जगहों पर चोरी की घटनाएं समाज के नैतिक पतन को दर्शाती हैं। यह समय है कि प्रशासन और समाज मिलकर इस चुनौती का सामना करें, ताकि आस्था और कानून का सम्मान बना रहे।
रिपोर्ट- अंजनी कुमार कश्यप