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बिहार में क्यों बार-बार गिर रहे ब्रिज, अब नीतीश कुमार के 1,710 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगी ग्रहण, जानें क्या है पूरा मामला?

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट सुल्तानगंज-अगुवानी पुल, जिसकी लागत 1,710 करोड़ रुपये है, पिछले कई वर्षों से निर्माणाधीन है।

बिहार में क्यों बार-बार गिर रहे ब्रिज, अब नीतीश कुमार के  1,710 करोड़ के ड्रीम प्रोजेक्ट पर लगी ग्रहण, जानें क्या है पूरा मामला?
ताश के पत्तों की तरह ढहते पुल!- फोटो : social media

Sultanganj-Aguwani bridge: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ड्रीम प्रोजेक्ट सुल्तानगंज-अगुवानी पुल, जिसकी लागत 1,710 करोड़ रुपये है, पिछले कई वर्षों से निर्माणाधीन है। हालांकि, यह पुल बार-बार ढह जाने की वजह से चर्चा में बना हुआ है। निर्माण कार्य एसपी सिंगला कंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा किया जा रहा है, लेकिन अब तक तीन बार पुल का सुपरस्ट्रक्चर गंगा नदी में गिर चुका है। इस बार, मकर संक्रांति के बाद पुल के निर्माण कार्य के फिर से शुरू होने की उम्मीद जगी है।

बार-बार गिरने की घटनाएं

पहली घटना 30 अप्रैल 2022 को हुई, जब सुल्तानगंज की ओर से पाया संख्या-5 पर पुल का सुपरस्ट्रक्चर गिर गया। कंपनी ने इसके पीछे तेज आंधी को कारण बताया।

दूसरी घटना 4 जून 2023 को खगड़िया की ओर पाया संख्या 10-11-12 का सुपर स्ट्रक्चर मात्र 30 सेकंड में गंगा में गिर गया।

तीसरी घटना 17 अगस्त 2024 को पाया संख्या-9 पर लोहे का एंगल और सुपरस्ट्रक्चर ध्वस्त हो गया।

भ्रष्टाचार और लापरवाही का सवाल

बार-बार ढहने की घटनाओं के बाद, पुल के निर्माण में इंजीनियरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। हालांकि, इन आरोपों की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस पुल के लगातार गिरने से कंपनी के साथ-साथ बिहार सरकार की भी कड़ी आलोचना हुई है।

निर्माण कार्य की नई शुरुआत की उम्मीद

सुल्तानगंज-अगुवानी पुल के निर्माण कार्य को फिर से शुरू करने के संकेत मिले हैं। सुल्तानगंज के विधायक प्रोफेसर ललित नारायण मंडल ने बताया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जल्द से जल्द काम शुरू करवाने के निर्देश दिए हैं। कंपनी के प्रोजेक्ट मैनेजर ने भी भरोसा दिलाया है कि मकर संक्रांति के बाद काम फिर से शुरू होगा।

पुल का महत्व

इस पुल के बन जाने से उत्तर और दक्षिण बिहार के बीच की दूरी कम हो जाएगी। यह पुल भागलपुर-खगड़िया को जोड़ेगा, जिससे यातायात में सुगमता आएगी। साथ ही, श्रावणी मेला के दौरान सुल्तानगंज से देवघर जाने वाले लाखों कांवरियों को इससे फायदा होगा। इसके अलावा, यह पुल NH-31 और NH-80 को आपस में जोड़ देगा, जिससे बिहार के इस क्षेत्र में यातायात और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। बार-बार ढहने की घटनाओं के बाद, पुल के निर्माण में इंजीनियरों की लापरवाही और भ्रष्टाचार के आरोप लगने लगे हैं। हालांकि, इन आरोपों की जांच अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। इस पुल के लगातार गिरने से कंपनी के साथ-साथ बिहार सरकार की भी कड़ी आलोचना हुई है।

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