N4N डेस्क: आप देश के किसी भी कोने में चले जाएं, वहां कोई न कोई बिहारी आपको जरूर मिल जायेगा. जो अपनी प्रतिभा और कार्य कुशलता के बल पर अपनी सफलता की कहानी गढ़ रहा होगा. वही अगर बात देश की राजधानी दिल्ली की करे तो देश के हर कोने से लोग अपने सपनों को साकार करने पहुचते है. इसी क्रम बिहार के लोग भी बड़ी सख्या में यहाँ पहुचे और अब धीरे धीरे बिहारियों का दबदबा दिल्ली की 15 विधान सभा सीटों पर बन चूका है. यही कारण है कि कोई भी दल पूर्वांचल के वोटर्स को नहीं छोड़ना चाहता है. इसी का फलाफल है की अबतक बिहार से आने वाले 5 ऐसे नेता भी हैं, जो लंबे वक्त से दिल्ली की सियासत में के सुरमा बन चुके है. चुनाव में हार हो या जीत हो, इन नेताओं का सियासी दबदबा बना रहता है.दिलचस्प बात है कि इनमें से 4 नेता इस बार भी दिल्ली के दंगल में उतरे हुए हैं. वहीं एक नेता ने अपनी सियासी विरासत अपने बेटे के जिम्मे सौंप दी है. आइए विस्तार से जानते है इनका अबतक का सफरनामा और बिहार के किस जिले से है इनका रिश्ता ....
महाबल मिश्रा मूल रूप से बिहार के मधुबनी में जन्मे महाबल मिश्रा ने वर्ष 1980 दिल्ली का रुख किया,पढ़ाई-लिखाई के बाद महाबल मिश्रा को सेना में नौकरी मिली, लेकिन 1992 में वे वहां से रिटायरमेंट लेकर राजनीति में सक्रिय हो गए. 1997 में महाबल मिश्रा पहली बार पार्षद चुने गए1998 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने नसीरपुर सीट से महाबल मिश्रा को विधायकी का टिकट दिया. महाबल जीतने में कामयाब रहे. महाबल ने इसके बाद सियासत में पीछे मुड़कर नहीं देखा. एक वक्त में पूर्वांचल के बड़े नेताओं में महाबल की गिनती होती थी.महाबल शीला दीक्षित के करीबी थे.2009 में महाबल लोकसभा भी पहुंचे, लेकिन 2014 के लोकसभा और 2015 के विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हार गए. महाबल ने इसके बाद पाला बदल लिया और पहले अपने बेटे को आम आदमी पार्टी में भेजा और फिर खुद आ गए. 2024 के लोकसभा चुनाव में महाबल मिश्रा को आप ने पश्चिमी दिल्ली से उम्मीदवार भी बनाया.हालांकि, बीजेपी के कमलजीत सहरावत से वे जीत नहीं पाए. इस चुनाव में महाबल के बेटे विनय मिश्रा द्वारका से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. चुनाव आयोग में दाखिल हलफनामे के मुताबिक महाबल मिश्रा के पास करीब 45 करोड़ रुपए की संपत्ति है. वहीं उनके बेटे विनय के पास करीब 8 करोड़ रुपए की संपत्ति है.
संजीव झा-यह दुसरे नेता है जो मूल रूप से बिहार के मधुबनी जिले के रहने वाले है. संजीव झा ने अपनी शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मधुबनी से ही की है. 2012 में आप के गठन के वक्त में पार्टी में आ गए. इसके बाद से वे लगातार आप में ही सक्रिय हैं.अन्ना आंदोलन से राजनीति में आने वाले संजीव झा दिल्ली के बुराडी सीट से आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार हैं. 2013 के चुनाव में संजीव को आप ने बुराडी सीट से प्रत्याशी बनाया था. संजीव ने इस चुनाव में बीजेपी के श्री किशन को चारो खाने चित्त करते हुए बड़ी जित दर्ज की थी. इसके बाद झा ने 2015 और 2020 के चुनाव में भी बुराडी सीट से जीत कर सदन पहुंचे. झा आम आदमी पार्टी के बिहार प्रभारी भी हैं. संजीव झा को आम आदमी पार्टी के टॉप लीडरशिप का बेहद करीबी माना जाता है.
अनिल झा-दिल्ली की सियासत ये तीसरे शख्स है जो मूल रूप से मधुबनी जिले के मूल निवासी है. दिल्ली आए तो पढाई लिखी करने पर अनिल छात्र राजनीति से सक्रिय में सक्री हो गए. नतीजतन 1997 में अनिल ने दिल्ली छात्रसंघ के चुनाव में अध्यक्ष पद पर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के टिकट पर जीत हासिल की थी. अनिल इसके बाद बीजेपी की सक्रिय राजनीति में आ गए.अनिल झा भी लम्बे अरसे से दिल्ली की चुनावी राजनीती में सक्रिय हैं. 2008 में अनिल पहली बार विधायक चुने गए. लगातार दूसरी बार वर्ष 20013 में भी उन्हें जीत मिली लेकिन अनिल 2015 और 2020 में आप के उम्मीदवार के हाथो लगातार हार गए. इस बार इन्होने पाला बदलते हुए अनिल झा इस बार आम आदमी पार्टी के सिंबल पर किराड़ी सीट से उम्मीदवार हैं.
सोमनाथ भारती-वकालत से राजनीति में आने वाले सोमनाथ भारती भी बिहार के नवादा जिले के रहने वाले हैं. सोमनाथ को आम आदमी पार्टी ने मालवीय नगर सीट से उम्मीदवार बनाया है. सोमनाथ इस सीट से लगातार 3 बार से जीत दर्ज कर रहे हैं.भारती दिल्ली सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. 2024 के लोकसभा चुनाव में उन्हें आप ने नई दिल्ली सीट से उम्मीदवार बनाया था, जहां जबरदस्त टक्कर देंने में कामयाब रहे.
बंदना कुमारी-अन्ना आंदोलन के जरिए बंदना ने सियासत की और रुख किया. मूल रूप से बिहार निवासी बन्दना का जन्मा समस्तीपुर में हुआ और शुरुआती पढ़ाई-लिखाई मुजफ्फरपुर में हुई है. उस वक्त उनके पास महिला विंग की कमान थी. 2013 में बंदना को आम आदमी पार्टी ने शालीमार बाग सीट से उम्मीदवार बनाया.बंदना ने यहां से जीत दर्ज कर ली. 2015 और 2020 के चुनाव में भी बंदना ने शालीमार सीट से जीत हासिल की. बंदना दिल्ली विधानसभा की उपाध्यक्ष भी रही हैं. बंदना को आप ने फिर से एक बार शालीमार बाग से उम्मीदवार बनाया है.