Constitution Amendment Bill: पीएम-सीएम और मंत्री जेल गए तो छिन जाएगी कुर्सी, संसद में पेश होंगे 4 बिल, विपक्ष बोला- लोकतंत्र पर कुठाराघात

लोकसभा में पेश किए जाने वाले नए विधेयक में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, कोई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का मंत्री गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो 31वें दिन से वह स्वतः ही पद से मुक्त हो जाएगा

Constitution Amendment Bill
सत्ता की गद्दी पर अब जेल का साया- फोटो : reporter

Constitution Amendment Bill: भारत की राजनीति में बड़ा बदलाव लाने वाले प्रस्तावित संवैधानिक संशोधन पर देशभर में बहस तेज हो गई है। अब तक संविधान के तहत केवल वही जनप्रतिनिधि पद से हटाए जाते थे जिन्हें अदालत दोषी ठहराती थी। लेकिन गृहमंत्री अमित शाह द्वारा लोकसभा में पेश किए जाने वाले नए विधेयक में प्रावधान है कि यदि प्रधानमंत्री, कोई केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या राज्य/केंद्र शासित प्रदेश का मंत्री गिरफ्तार होकर लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहता है तो 31वें दिन से वह स्वतः ही पद से मुक्त हो जाएगा।

इस संशोधन के जरिए संविधान के अनुच्छेद 75 और अनुच्छेद 164 में नए उपबंध जोड़े जाएंगे। अनुच्छेद 75 में उपबंध 5(A) जोड़ा जाएगा जिसके अनुसार यदि कोई मंत्री अपने पद पर रहते हुए ऐसे अपराध में हिरासत में है, जिसकी सजा 5 साल या उससे अधिक हो सकती है, और वह लगातार 30 दिनों तक पुलिस हिरासत में रहता है तो राष्ट्रपति प्रधानमंत्री की सलाह पर 31वें दिन उसे पद से हटा देंगे। यदि प्रधानमंत्री कोई सिफारिश नहीं करता है तो भी मंत्री स्वतः पद से मुक्त माना जाएगा। यही नियम प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री और अन्य मंत्रियों पर भी लागू होगा।

हालांकि, इस प्रस्ताव में यह भी स्पष्ट किया गया है कि यदि कोई प्रधानमंत्री या मंत्री रिहा हो जाता है तो उसे दोबारा उसी पद पर नियुक्त करने से कोई रोक नहीं होगी। यानी गिरफ्तारी के दौरान वह पद से मुक्त होगा, लेकिन कानूनी अड़चन न होने पर वापसी का रास्ता खुला रहेगा।

गृहमंत्री अमित शाह इस मसौदे के साथ संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, केंद्र शासित प्रदेशों का शासन (संशोधन) विधेयक और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक भी संसद में पेश करेंगे। इन तीनों विधेयकों को संयुक्त संसदीय समिति को भेजा जाएगा और रिपोर्ट आगामी सत्र के अंतिम सप्ताह में रखी जाएगी।

इस प्रस्ताव ने राजनीतिक गलियारों में भूचाल ला दिया है। कांग्रेस ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। वरिष्ठ नेता और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने एक्स (पूर्व ट्विटर) पर लिखा है कि “क्या दुष्चक्र है! गिरफ्तारी के लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं, विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी धड़ाधड़ और असंगत रूप से हो रही है। ऐसे में मौजूदा मुख्यमंत्री या मंत्री को अगर मनमाने तरीके से गिरफ्तार कर लिया जाए तो यह कानून उन्हें तुरंत पद से हटा देगा। यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है।”

विश्लेषकों का कहना है कि यह संशोधन भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों में फंसे नेताओं को सत्ता से बाहर करने का सशक्त प्रयास हो सकता है, लेकिन विपक्ष की आशंका भी वाजिब है कि अगर गिरफ्तारी की प्रक्रिया पारदर्शी और निष्पक्ष नहीं रही तो सत्ता में बैठे लोग इसे राजनीतिक हथियार की तरह इस्तेमाल कर सकते हैं।