BJP National President: भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद की दौड़ में कौन सबसे आगे? दिल्ली से नागपुर तक चल रही सियासी कवायद!
BJP National President: भारतीय जनता पार्टी जो देश-दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में अपनी पहचान रखती है, अब एक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में है। ...

BJP National President: भारतीय जनता पार्टी जो देश-दुनिया की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी के रूप में अपनी पहचान रखती है, अब एक नए राष्ट्रीय अध्यक्ष की तलाश में है। यह प्रक्रिया न केवल पार्टी के भविष्य की दिशा तय करेगी, बल्कि भारतीय राजनीति के व्यापक परिदृश्य पर भी गहरा प्रभाव डालेगी। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा के वरिष्ठ रणनीतिकारों के बीच इस मुद्दे पर गहन मंथन चल रहा है। सूत्रों की मानें तो अगले एक से डेढ़ महीने में यह प्रक्रिया अपने अंजाम तक पहुंच सकती है, क्योंकि राज्यों में संगठनात्मक चुनाव अपने अंतिम चरण में हैं।
संगठनात्मक प्रक्रिया और समयसीमा
पार्टी के आंतरिक सूत्रों के अनुसार, जुलाई के अंत या अगस्त के प्रथम सप्ताह तक भाजपा को नया राष्ट्रीय अध्यक्ष मिल सकता है। कुछ जानकार यह भी मानते हैं कि संसद के मानसून सत्र, जो 21 जुलाई 2025 से शुरू होने वाला है, से पहले इसकी घोषणा हो सकती है। इसके लिए राष्ट्रीय सहमति बनाने की कवायद तेज हो चुकी है, हालांकि अभी तक किसी एक नाम पर आम राय नहीं बन पाई है।
भाजपा के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तब शुरू होता है, जब कम से कम 50 प्रतिशत राज्यों में संगठनात्मक चुनाव पूरे हो जाते हैं। वर्तमान में, 28 राज्यों और 9 केंद्रशासित प्रदेशों में से केवल दो दर्जन राज्यों में ही प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति हो पाई है। उत्तर प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में अभी यह प्रक्रिया लंबित है। इसके बाद राष्ट्रीय परिषद का गठन होगा, और राष्ट्रीय चुनाव अधिकारी नामांकन, मतदान, और मतगणना की तारीख तय करेंगे। हालांकि, भाजपा के इतिहास में अब तक राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव निर्विरोध ही हुआ है, और इस बार भी यही संभावना प्रबल है।
संघ की भूमिका और सहमति की चुनौती
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जो भाजपा का वैचारिक मार्गदर्शक रहा है, इस बार अध्यक्ष के चयन में निर्णायक भूमिका निभाने को तैयार है। लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा का 370 सीटों का लक्ष्य पूरा न हो पाना और 272 के जादुई आंकड़े तक न पहुंच पाना, संघ के कथित असहयोग से जोड़ा गया है। इससे यह स्पष्ट हो गया है कि अब संगठन पर संघ की पकड़ और मजबूत होगी। सूत्रों का कहना है कि नया अध्यक्ष पूरी तरह संघ की सहमति से चुना जाएगा, क्योंकि पार्टी की एकता और भविष्य की रणनीति इसी पर निर्भर है।
संघ ने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि केंद्र या राज्य सरकारों में मंत्री रह चुके नेताओं को संगठन की जिम्मेदारी नहीं दी जाएगी। इस निर्णय ने केंद्रीय मंत्रियों के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने की संभावनाओं को लगभग समाप्त कर दिया है, भले ही मोदी-शाह जोड़ी ऐसी नियुक्ति की पक्षधर रही हो। संघ का मानना है कि एक जमीनी नेता, जो हिंदी पट्टी और दक्षिण भारत में पार्टी की पैठ बढ़ा सके, ही इस पद के लिए उपयुक्त होगा।
हिंदी पट्टी और दक्षिण भारत का समीकरण
हिंदी पट्टी में समाजवादी, कांग्रेसी, और वामपंथी विचारधारा का गहरा प्रभाव रहा है। ऐसे में, इस क्षेत्र में भाजपा की पकड़ मजबूत करने के लिए संघ एक ऐसे नेता को कमान सौंपना चाहता है, जो स्थानीय स्तर पर स्वीकार्य हो और संगठन को नई ऊर्जा दे सके। इसके साथ ही, दक्षिण भारत में पार्टी की पैठ बढ़ाने के लिए तमिलनाडु की वनति श्रीनिवासन, तमिलिसाई सौंदर्यराजन, और आंध्र प्रदेश की डी. पुरंदेश्वरी जैसे नाम भी चर्चा में हैं। ये तीनों महिलाएं दक्षिण भारत से हैं, और उनकी नियुक्ति से पार्टी दक्षिण में अपनी स्थिति को और मजबूत करना चाहती है।
वहीं, संजय जोशी, योगी आदित्यनाथ, मनोहर लाल खट्टर, मनोज सिन्हा, शिवराज सिंह चौहान, भूपेंद्र यादव, धर्मेंद्र प्रधान, सुनील बंसल, और जी. किशन रेड्डी जैसे नाम भी रेस में हैं। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि संजय जोशी और जी. किशन रेड्डी को छोड़कर अधिकांश नाम संघ की कसौटी पर खरे नहीं उतरते। ऐसे में किसी अप्रत्याशित चेहरे की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि संघ और भाजपा अपने आश्चर्यजनक निर्णयों के लिए जाने जाते हैं।
भविष्य की चुनौतियां और नया नेतृत्व
नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के सामने चुनौतियों का पहाड़ होगा। 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव, 2026 में पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु, केरल, और असम, तथा 2027 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा, मणिपुर, पंजाब, और राष्ट्रपति-उप राष्ट्रपति चुनाव जैसे महत्वपूर्ण अवसरों पर पार्टी को जीत दिलाने की जिम्मेदारी होगी। इसके अलावा, तीसरी और चौथी पीढ़ी के नेताओं को साधने, संगठन को मजबूत करने, और 2047 तक भाजपा के निष्कंटक राज की नींव रखने का दायित्व भी नए अध्यक्ष के कंधों पर होगा।
वर्तमान अध्यक्ष जे.पी. नड्डा का कार्यकाल जून 2024 में समाप्त हो चुका है, और वे वर्तमान में विस्तारित कार्यकाल पर हैं। नड्डा के केंद्रीय मंत्री होने के कारण "एक व्यक्ति, एक पद" के सिद्धांत को लागू करने की मांग जोर पकड़ रही है। ऐसे में, पार्टी अगस्त 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नया अध्यक्ष चुनना चाहेगी, ताकि विपक्ष के नैरेटिव को प्रभावी ढंग से चुनौती दी जा सके।
भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष का चयन न केवल पार्टी के लिए, बल्कि भारतीय राजनीति के लिए भी एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। यह नया नेतृत्व नरेंद्र मोदी के विजन और संघ की विचारधारा के बीच संतुलन बनाते हुए, पार्टी को भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा। अगले कुछ हफ्तों में यह स्पष्ट हो जाएगा कि क्या यह जिम्मेदारी किसी अनुभवी जमीनी नेता को मिलेगी, या फिर दक्षिण भारत से कोई नया चेहरा उभरेगा। जो भी हो, यह कांटों का ताज होगा, जिसे पहनने वाले को संगठन और देश के लिए असाधारण योगदान देना होगा।