Illegal Sand Mining:बिना धर्मकांटा लाइसेंस के चल रहे अधिकांश बालू घाट, बालू माफिया सरकारी खजाने को लगा रहे चूना, प्रशासन बना सुस्त
Illegal Sand Mining: बालू खनन से संबंधित एक गंभीर अनियमितता सामने आई है, जहां लगभग 40 फीसदी बालू घाट बिना धर्मकांटा (वेइंग मशीन) लाइसेंस के अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं।

Illegal Sand Mining: सोन और गंगा नदियों के किनारे बसे भोजपुर जिला बिहार के प्रमुख बालू खनन केंद्रों में से एक है, जो राज्य की बालू आपूर्ति में महत्वपूर्ण योगदान देता है। बालू एक महत्वपूर्ण निर्माण सामग्री है, और बिहार में बुनियादी ढांचे के विकास, जैसे बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे, के कारण इसकी मांग में भारी वृद्धि हुई है। हालांकि, भोजपुर, पटना, सारण, रोहतास और औरंगाबाद जैसे जिलों में बालू खनन क्षेत्र लंबे समय से अवैध गतिविधियों और माफिया के नियंत्रण से ग्रस्त रहा है।भोजपुर जिले में बालू खनन से संबंधित एक गंभीर अनियमितता सामने आई है, जहां लगभग 40 फीसदी बालू घाट बिना धर्मकांटा (वेइंग मशीन) लाइसेंस के अवैध रूप से संचालित हो रहे हैं। यह स्थिति न केवल बिहार सरकार को प्रति माह लाखों रुपये के राजस्व की हानि पहुंचा रही है, बल्कि अवैध बालू खनन और पर्यावरणीय क्षति को भी बढ़ावा दे रही है। नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार ने बालू माफिया और अवैध खनन पर अंकुश लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं, लेकिन इन अनियमितताओं का बना रहना प्रवर्तन और शासन व्यवस्था पर सवाल उठाता है। नीचे इस मुद्दे, इसके प्रभावों और बिहार में बालू खनन के व्यापक संदर्भ का विस्तृत विश्लेषण प्रस्तुत है।
भोजपुर जिले में लगभग 40फीसदी बालू घाट बिना धर्मकांटा लाइसेंस के चल रहे हैं, जो नाप-तौल विभाग (Weights and Measures Department) के नियमों के तहत अनिवार्य है। धर्मकांटा खनन किए गए बालू की मात्रा को सटीक रूप से मापने के लिए आवश्यक है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि खनन और परिवहन कानूनी और कर दायित्वों के अनुरूप हो।
नाप-तौल विभाग प्रत्येक धर्मकांटा लाइसेंस के लिए 65,000 रुपये शुल्क लेता है। भोजपुर में 40 से अधिक बिना लाइसेंस वाले धर्मकांटों के कारण विभाग को प्रति माह लाखों रुपये का नुकसान हो रहा है। यह राज्य के सार्वजनिक सेवाओं और बक्सर-भागलपुर एक्सप्रेसवे जैसे बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए धन की उपलब्धता को प्रभावित करता है।
: बिना उचित धर्मकांटों के, परिवहन किए जा रहे बालू की मात्रा की जांच का कोई तंत्र नहीं है। इससे ट्रकों में ओवरलोडिंग होती है, जो सड़कों को नुकसान पहुंचाती है और अनुमति से अधिक बालू खनन को बढ़ावा देती है। यह पर्यावरणीय क्षति, जैसे नदी तटों का कटाव और नदियों के मार्ग में परिवर्तन, को बढ़ाता है।