N4N डेस्क: बिहार में महिलाओं के सशक्तिकरण खातिर लगातार सरकार द्वारा व्यवस्था को एक नया स्वरूप दिया जा रहा है. इसी क्रम में बेतिया में महिला सशक्तिकरण की दिशा में पालना गृह एक बेहतरीन पहल है। समाहरणालय परिसर में स्थित इस पालना गृह में कार्यरत महिला कर्मियों के बच्चे नामांकित हैं। यह केंद्र महिलाओं को अपने कार्य और पारिवारिक जीवन के बीच संतुलन बनाने में मदद कर रहा है। पालना गृह में बच्चों की देखभाल पालना गृह में बच्चों की देखभाल और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जाता है।यह कदम न केवल व्यवस्था को अधिक प्रभावी बना रहा है, बल्कि महिलाओं की सशक्त भागीदारी को भी प्रोत्साहित कर रहा है.
बेतिया समाहरणालय के जन संपर्क विभाग के भवन में यहां के पालना गृह का शुभारंभ एक अप्रैल 2023 को हुआ। शुभारंभ केवल एक ही बच्चे से हुआ।वर्तमान में समाहरणालय परिसर में कार्य कर रही महिला कर्मियों के चार-चार बच्चे इसमें नामांकित हैं। कलेक्ट्रेट में पालना गृह की सफलता के बाद अब बेतिया और बगहा पुलिस लाइन में भी पालना गृह संचालित करने की तैयारी है।
महिला एवं बाल विकास निगम के जिला कार्यक्रम प्रबंधक अभिषेक प्रसाद ने बताया कि मुख्यमंत्री नारी शक्ति योजना के तहत जिले में तीन पालना गृह खोलने का प्राविधान है।इसके तहत बेतिया एवं बगहा पुलिस अधीक्षक के कार्यालय में भी शीघ्र पालना गृह खोला जाएगा। वहां जगह मिल गई है। कलेक्ट्रेट में संचालित पालना गृह से महिला कर्मियों को काफी लाभ हुआ है।इसी प्रकार पुलिस मुख्यालय में भी महिला कर्मियों के लिए सुविधा होगी। बच्चे के जन्म के बाद कई कामकाजी महिलाओं को छोडनी पड़ती है। इसे रोकने के लिए पालना घर की शुरुआत की गई है।पालना गृह को महिलाओं के कार्य जीवन संतुलन को मजबूत करने की दिशा में बेहतर साबित हो रहा है। शून्य से पांच वर्ष की आयु के बच्चे की देखभाल एवं सुरक्षा के लिए तैयार किया गया।यह केंद्र केवल महिला कर्मियों की जिम्मेवारी को सही मायने में कम कर रहा है। यहां आकर वे अपने बच्चे को छोड़ जाती हैं और अपने कार्य समापन के बाद बच्चे को घर लेकर वापस चली जाती हैं।
यहां आ रहे बच्चे को हर बिन्दु पर ध्यान दिया जाता है। कार्य अवधि में उनकी मां कार्यालय में होती हैं। ऐसे में बचे अपनी मां नहीं खोजे इसके लिए पालना गृह में विभिन्न प्रकार के खिलौनों की व्यवस्था की गई है।पालना गृह में गर्म एवं ठंडा पानी को छोड़कर अन्य खाद्य पदार्थ की व्यवस्था नहीं होती है, बल्कि इसे उनकी मां को ही लाकर यहां रख देना पड़ता है।