'पैसे के दम पर सब पुलिस मैनेज हो जाती है', भागलपुर में विकलांग युवक को गवाही देने की मिली बड़ी सजा! आरोपी ने की मारपीट, जानें पूरा मामला
भागलपुर के जोगसर थाना पर विकलांग युवक ने लगाया गलत अनुसंधान का आरोप, एसएसपी से न्याय की गुहार, पुलिस पर मिलीभगत का दावा।

Bhagalpur Police Station: शाहकुंड थाना के पचरूखी गांव निवासी आदित्य राज उर्फ प्रदीप कुमार ने अपने आवेदन में बताया कि 17 नवंबर 2018 को वे न्यायालय में केस संख्या 1630/2017 में गवाही देने आए थे। गवाही के बाद लौटते समय, एक सफेद स्कॉर्पियो में सवार अज्ञात व्यक्तियों ने उनका अपहरण कर लिया और उनके साथ बर्बरता से मारपीट की। जब होश आया, तो उन्होंने खुद को रांची के बरियातू अस्पताल में पाया।
बरियातू थाना पुलिस ने वहीं पीड़ित का बयान दर्ज कर केस को भागलपुर के जोगसर थाना स्थानांतरित कर दिया गया। लेकिन जोगसर थाना द्वारा इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई, जिससे विवश होकर पीड़ित के पिता को कोर्ट में वाद दायर करना पड़ा।
न्यायालय के आदेश के बाद भी जांच में अनियमितता
कोर्ट के निर्देश पर जोगसर थाना में FIR संख्या 61/24 दर्ज हुई। लेकिन पीड़ित का आरोप है कि थाना में नियुक्त अनुसंधान अधिकारी ने साक्ष्यों की अनदेखी करते हुए जानबूझकर आरोपी के पक्ष में केस डायरी लिख दी। पीड़ित ने बताया कि आरोपी खुलेआम धमकी देता है कि "पैसे के दम पर सब पुलिस मैनेज हो जाती है"।
थाना अधिकारियों का रवैया भी बेहद आपत्तिजनक बताया गया, जिसमें फरियादी को डांटकर भगा दिया गया। थक-हारकर पीड़ित ने लोक शिकायत निवारण कार्यालय में शिकायत की, जहां जोगसर थाना प्रभारी को डांट भी पड़ी। फिर भी थाना से कोई निष्पक्ष कदम नहीं उठाया गया।
पीड़ित की हालत और पूर्व घटनाओं की पुनरावृत्ति
आदित्य राज ने बताया कि इस घटना ने उन्हें 80% तक विकलांग बना दिया है। यह पहला मामला नहीं है जब जोगसर थाना पर गंभीर आरोप लगे हों। कुछ समय पहले NSG कमांडो को भी इसी थाना द्वारा गलत तरीके से पीटा गया था और बिना FIR के हिरासत में लिया गया।उपरोक्त घटनाएं दर्शाती हैं कि थाना स्तर पर कार्यवाही में भारी लापरवाही और पक्षपातपूर्ण रवैया व्याप्त है। जब पीड़ित उच्च अधिकारियों के पास गया तब भी उसे निराशा ही हाथ लगी, जिसके कारण कोर्ट का सहारा लेना पड़ा।
हाई प्रोफाइल केस में भी थाना की लापरवाही उजागर
जोगसर थाना की कार्यशैली को लेकर पहले से ही सवाल उठते रहे हैं। अमृता पांडे हत्या जैसे हाई प्रोफाइल केस में भी थाना की निष्क्रियता देखने को मिली है। FSL रिपोर्ट ने जहां आत्महत्या कहा, वहीं पोस्टमार्टम रिपोर्ट में हत्या की पुष्टि की गई थी। फिर भी मामले में ठोस प्रगति नहीं दिखी।सूत्रों की मानें तो थाना प्रभारी को किसी रसूखदार नेता का संरक्षण प्राप्त है, जिससे वरिष्ठ अधिकारी भी जांच और कार्रवाई से परहेज करते हैं।
भागलपुर से balmukund kumar कि रिपोर्ट