Bhagalpur News: देश में जहां दहेज प्रथा अब भी कई परिवारों पर बोझ बनी हुई है, वहीं भागलपुर जिले के सिमरिया और सलेमपुर गांव एक अनोखी मिसाल पेश कर रहे हैं। यहां दहेज मुक्त निकाह न केवल परंपरा बन चुके हैं, बल्कि यह समाज में सकारात्मक बदलाव का संदेश भी दे रहे हैं। खास बात यह है कि इन गांवों में 99% शादियां इन्हीं दोनों के बीच होती हैं, जिससे सामाजिक और पारिवारिक संबंध भी मजबूत बने रहते हैं।
सिमरिया और सलेमपुर: दो गांव, एक अनोखी परंपरा
सिमरिया, कजरैली पंचायत का हिस्सा है, जहां करीब 10,000 लोग निवास करते हैं, जबकि सलेमपुर, चांदपुर पंचायत में आता है और इसकी आबादी लगभग 8,000 है। दोनों गांवों के बीच महज चार किलोमीटर की दूरी है, लेकिन इनके बीच वर्षों से चली आ रही दहेज मुक्त निकाह की परंपरा ने इन्हें सामाजिक रूप से और अधिक जुड़ा हुआ बना दिया है।
2000 से अधिक निकाह, दहेज मुक्त परंपरा जारी
सिमरिया के मुखिया प्रतिनिधि जाहिर अहमद के अनुसार, अब तक 2,000 से अधिक निकाह इन दोनों गांवों के बीच हो चुके हैं और सभी बिना दहेज के संपन्न हुए हैं। मौलाना जाहिद हलीमी बताते हैं कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और नई पीढ़ी भी इसे पूरी निष्ठा से निभा रही है। उन्होंने कहा, "मेरी शादी 1993 में सिमरिया में हुई थी, और तब से अब तक यह परंपरा बदस्तूर जारी है।"
सादगी और शांति से भरा निकाह आयोजन
आज के दौर में जहां शादियों में भव्यता, डीजे, आतिशबाजी और शोरगुल आम हो गए हैं, वहीं सिमरिया और सलेमपुर में निकाह पूरी सादगी और शांति के साथ होते हैं। दूल्हे का परिवार बिना किसी तामझाम के दुल्हन के घर पहुंचता है, और धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार निकाह संपन्न होता है।
दिन के समय आयोजित होते हैं विवाह समारोह
इन गांवों में सभी शादियां दिन के समय संपन्न होती हैं, जिससे अनावश्यक खर्चों से बचा जा सके। बुजुर्गों का मानना है कि दिन में निकाह होने से खर्च नियंत्रित रहते हैं और पारिवारिक माहौल सरल और शांतिपूर्ण बना रहता है। शादी में दिखावे की बजाय शांति और सादगी को महत्व दिया जाता है, जो इन गांवों की सामाजिक एकता को और भी मजबूत करता है।
दहेज मुक्त निकाह की परंपरा
सिमरिया और सलेमपुर गांवों में दहेज मुक्त निकाह की परंपरा न केवल एक समाज सुधार का प्रतीक है, बल्कि यह पूरे देश के लिए एक प्रेरणा भी है। इन गांवों ने दिखाया है कि विवाह केवल संबंधों को मजबूत करने का माध्यम होना चाहिए, न कि किसी आर्थिक बोझ का कारण। सादगी और शांति के साथ किए गए ये निकाह समाज में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में बड़ा कदम हैं।