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Bihar Teacher News: बिहार के 'रंगीले गुरु जी', पहले तलवार से काटा केक, फिर छात्रों के साथ लगाए ठुमके, अब हो गई बड़ी कार्रवाई

Bihar Teacher News: बिहार के एक शिक्षक को अपने जन्मदिन के दिन तलवार से केक काटना महंगा पड़ा गया है। कॉलेज प्रशासन ने उन पर बड़ी कार्रवाई की है।

शिक्षक
TMBU teacher Cutting cake with sword proved costly - फोटो : social media

Bihar Teacher News: टीएमबीयू (तिलका मांझी भागलपुर विश्वविद्यालय) के पीजी हिंदी विभाग के शिक्षक डॉ. दिव्यानंद देव को अपने जन्मदिन पर तलवार से केक काटना महंगा पड़ गया। विश्वविद्यालय प्रशासन ने रविवार देर शाम उन्हें नवगछिया अनुमंडल के नारायणपुर स्थित जेपी कॉलेज में स्थानांतरित कर दिया। यह कार्रवाई विभाग में तलवार से केक काटने और छात्रों के साथ ठुमका लगाने के मामले में गठित जांच कमेटी की अनुशंसा के आधार पर की गई है।

विवाद कैसे शुरू हुआ?

डॉ. दिव्यानंद देव ने 31 जनवरी को पीजी हिंदी विभाग में तलवार से केक काटकर अपना जन्मदिन मनाया और इस दौरान छात्रों के साथ नाच-गाना भी किया। 1 फरवरी को जन्मदिन समारोह का वीडियो वायरल होते ही विश्वविद्यालय में हंगामा मच गया। छात्र राजद सहित अन्य चार छात्र संगठनों ने इस घटना पर आपत्ति जताते हुए कुलपति प्रो. जवाहर लाल को लिखित शिकायत सौंपी और 10 फरवरी से आंदोलन की चेतावनी दी। मामले के बढ़ते दबाव को देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने रविवार शाम कुलसचिव प्रो. रामाशीष पूर्वे के माध्यम से अधिसूचना जारी कर कार्रवाई की।

जांच कमेटी पर भी उठा सवाल

इस बीच, जांच कमेटी के एक सदस्य का ऑडियो वायरल होने पर विद्यार्थियों और एबीवीपी ने कमेटी की निष्पक्षता पर सवाल खड़े किए और संबंधित सदस्य के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कार्रवाई के बाद कॉलेज प्रशासन ने उनका स्थानांतरण का दिया।

"जिम्मेदारी मेरी है" – प्रो. योगेंद्र

हिंदी विभाग के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. योगेंद्र ने सोशल मीडिया पर इस विवाद को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने लिखा कि बर्थडे मनाने की परंपरा उन्होंने ही शुरू की थी, ताकि ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों के जीवन में खुशी के कुछ पल जोड़े जा सकें। उन्होंने कहा कि, "हमने यह परंपरा जाति और धर्म से ऊपर रखी। विभाग में विदाई समारोह, स्वागत कार्यक्रम और राष्ट्रीय संगोष्ठियों का आयोजन भी किया। बच्चों को शांति निकेतन और मंदार घुमाने तक ले गया, लेकिन विश्वविद्यालय ने इन गतिविधियों में कभी आर्थिक सहयोग नहीं दिया।"

मामले का असर

उन्होंने यह भी चेताया कि यदि ऐसे ही माहौल रहा तो कोई भी शिक्षक पढ़ाने के अलावा कुछ और करने की हिम्मत नहीं करेगा। उन्होंने कुलपति से अपील की कि वे विभाग की भावनाओं को समझें और यदि कार्रवाई करनी ही है तो उनके ऊपर प्राथमिकी दर्ज की जाए, क्योंकि यह परंपरा उन्होंने शुरू की थी। डॉ. दिव्यानंद देव के स्थानांतरण से विश्वविद्यालय में विवाद और बढ़ सकता है। शिक्षक समुदाय इसे शैक्षणिक स्वतंत्रता और विभागीय परंपराओं के खिलाफ कड़ा कदम मान रहा है, जबकि छात्र संगठनों का कहना है कि शिक्षकों को मर्यादा का पालन करना चाहिए।

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