गोपाल मंडल का बड़ा बयान: 'चिराग पासवान हीरो दिखते है, इसलिए भीड़ जुटती है, वह बच्चा टाइप नेता', jdu-bjp छोड़ दे तो कोई नहीं पूछेगा

गोपाल मंडल का बड़ा बयान: 'चिराग पासवान हीरो दिखते है, इसलिए

Bhagalpur - बिहार की राजनीति में एक बार फिर से जेडीयू विधायक गोपाल मंडल अपने विवादित और बेबाक बयानों को लेकर चर्चा में हैं. उन्होंने पटना में व्यवसायी गोपाल खेमका की हत्या पर प्रतिक्रिया देते हुए अपराध को “सामान्य” करार दिया और साफ शब्दों में कहा कि "हत्या तो होते रहेगा, यह कभी नहीं रुकेगा. विधायक ने यह भी कहा कि 10 वर्षों तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बिहार को बखूबी संभाला, लेकिन अब पुलिस महकमे की कार्यप्रणाली सुस्त हो चुकी है. उन्होंने स्वीकार किया कि पुलिस व्यवस्था लचर हो गई है, लेकिन साथ ही ये भी कहा कि सरकार की नहीं बल्कि व्यवस्था की आलोचना कर रहे हैं.

अब पुलिस 'थेथर' हो गई है. अगर वह चौकस रहे तो कोई अपराध नहीं होगा. नीतीश कुमार कहां-कहां जाएंगे? सरकार से नहीं, व्यवस्था से नाराज हूं.”

2005 से पहले के बिहार की दिलाई याद 

विधायक मंडल ने अपने बयान में विपक्ष को घेरते हुए 2005 से पहले के बिहार की तस्वीर खींची और कहा कि उस दौर में स्थिति और भी भयावह थी. उन्होंने कहा कि तब आईएएस अधिकारियों की पत्नियों तक को नहीं बख्शा जाता था और व्यवसायियों को पलायन करना पड़ता था. “तब सामूहिक बलात्कार जैसी घटनाएं होती थीं, लेकिन अब स्थिति नियंत्रण में है.

चिराग पासवान पर तीखा हमला: ‘बच्चा टाइप बोलता है’

गोपाल मंडल ने लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान पर भी तीखा हमला बोला. उन्होंने चिराग को ‘बच्चा टाइप नेता’ बताया और कहा कि अगर एनडीए उन्हें छोड़ दे, तो वह राजनीति में शून्य पर आउट हो जाएंगे. चिराग पासवान सिर्फ प्रेशर पॉलिटिक्स करते हैं. वह हीरो टाइप हैं इसलिए युवा आते हैं, लेकिन असल में उनका कोई आधार नहीं है. अगर जदयू-भाजपा उन्हें छोड़ दे तो उनकी पार्टी खत्म हो जाएगी। उन्होंने यह भी कहा कि चिराग को अपने पिता रामविलास पासवान जैसी समझ और परिपक्वता नहीं मिली है. चिराग सिर्फ सीटों के लिए दबाव बनाकर मुख्यमंत्री बनने का सपना देख रहे हैं.

राजनीति में बढ़ती तल्खी और प्रशासन पर सवाल

गोपाल मंडल के इस बयान ने एक ओर जहां सरकार की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं, वहीं विपक्ष को भी एक नया हमला बोलने का मौका मिल गया है. विधायक के बयान से यह स्पष्ट है कि सत्ता पक्ष के अंदर ही प्रशासनिक ढांचे को लेकर असंतोष है, जो राज्य की कानून-व्यवस्था की जमीनी हकीकत को उजागर करता है. गोपाल मंडल जैसे सत्तारूढ़ दल के वरिष्ठ विधायक जब कानून-व्यवस्था को लेकर इस तरह की बातें करते हैं, तो यह सरकार के लिए चेतावनी भी है और जनता के बीच भ्रम की स्थिति भी पैदा करता है. यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में मुख्यमंत्री और जदयू नेतृत्व इस बयान पर क्या रुख अपनाते हैं.


रिपोर्ट - अंजनी कुमार कश्यप