Bihar News : प्रणव प्रकाश दिखाएंगे कुर्मी जाति की ताकत, 20 अप्रैल को नालंदा में सामाजिक समरसता अभियान, 31 साल पहले ऐसी ही रैली से छा गए थे नीतीश कुमार
बिहार में कुर्मी जाति की एक बड़ी रैली 20 अप्रैल को नालंदा में है. भाजपा से जुड़े प्रणव प्रकाश इस आयोजन के सूत्रधार हैं. शिवाजी महाराज के नाम पर सामाजिक एकजुटता दिखाने की इस बड़ी कोशिश को 1994 के कुर्मी चेतना रैली के तौर पर देखा जा रहा है.

Bihar News : बिहार की राजनीति में जातीय गोलबंदी का हमेशा से दबदबा रहा है. विधानसभा चुनाव वाले वर्ष में कई जातियों की सभाएं और सम्मेलन हो रहे हैं. इसी क्रम में शिवाजी महाराज को समर्पित छत्रपति शिवाजी महाराज सामाजिक समरसता अभियान का आयोजन 20 अप्रैल को नालंदा जिले के बिहार शरीफ स्थित श्रम कल्याण मैदान में हो रहा है. छत्रपति शिवाजी महाराज परिवार के प्रणव प्रकाश के संयोजन में हो रही इस रैली में मुख्य रूप से कुर्मी जाति का जुटान होना है. कुर्मियों की इस प्रकार की यह रैली करीब 31 वर्षों के बाद इतने बड़े स्तर पर हो रही है. इसके पहले पटना में वर्ष 1994 में नीतीश कुमार ने कुर्मी चेतना रैली का नेतृत्व किया था, जिसके बाद वे बिहार की राजनीति में प्रमुखता से उभरे थे. अब उसी तरीके से बिहार शरीफ में प्रणव प्रकाश के नेतृत्व में हो रही रैली है.
कौन हैं प्रणव प्रकाश
अमेरिका में पढाई करने वाले प्रणव प्रकाश के परिवार का राजनीति से पुराना नाता रहा है. इनके नाना चंडी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रह चुके हैं. वहीं दादा ने स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई थी जबकि पिता के शिक्षाविद रहे. वे इंजीनियरिंग कॉलेज में प्रोफेसर थे. प्रणव प्रकाश खुद भी सियासी तौर पर सक्रिय रहे हैं. उनका संघ से पुराना जुड़ाव रहा है. वहीं 2014 के लोकसभा चुनाव में वे आम आदमी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े, हालांकि उन्हें सफलता नहीं मिली. बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए. अब विधानसभा चुनाव के पहले एक बाद फिर से अपनी जातीय गोलबंदी दिखाकर प्रणव प्रकाश अपनी सियासी ताकत को जातीय रूप से दिखाने की कोशिश में हैं. हालांकि सामाजिक रूप से प्रणव प्रकाश ने कई मुद्दों पर पहले भी नालंदा जिले में आंदलनों का नेतृत्व किया. इसमें किसानों के मुद्दे पर चला उनका अभियान काफी अहम रहा था.
कुर्मी समाज पर बड़ा प्रभाव
प्रणव प्रकाश को लेकर माना जाता है की वे कुर्मी समाज पर बड़ा प्रभाव रखते हैं. खासकर कुर्मी जाति की अलग अलग उपजातियों को एकजुट करने की उनकी पहल को सामाजिक रूप से काफी बड़े स्तर पर स्वीकारा गया है. अब शिवाजी महाराज के बहाने उन्होंने इस बार कुर्मियों को एक मंच पर लाने की बड़ी कोशिश की है. कुर्मी समाज के सबसे बड़े नायकों में एक शिवाजी महाराज के बहाने कुर्मी की सभी उप जातियों को एक बैनर तले लाकर समाज का शक्ति प्रदर्शन भी दिखाने की कोशिश है. इतना ही नहीं जैसे 1994 में नीतीश कुमार ने कुर्मी चेतना रैली के बाद खुद को समाज में एक स्वीकार्य चेहरे के रूप में पेश किया उसी तर्ज पर अब प्रणव प्रकाश की कोशिश भी हो सकती है.
नीतीश कुमार के बाद कुर्मी का नेता कौन
बिहार में वर्ष 2005 से एक छोटे से कालखंड को छोड़कर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री रहे हैं. इतना ही नहीं नीतीश कुमार की जदयू को बिहार में मिलने वाली सफलता के पीछे एक बड़ा कारण उनके पीछे कुर्मी समाज का एकजुट रूप से समर्थन रहा है. हालांकि हाल के समय में एक बड़ा सवाल उठने लगा है की नीतीश कुमार के बाद कुर्मी का नेता कौन होगा. बिहार में हुई जातिगत जनगणना के मुताबिक, राज्य में 2.87 प्रतिशत लोग कुर्मी जाति से आते हैं. आबादी के हिसाब से इस बड़े वर्ग का वोट बैंक के रूप में भी बड़ा प्रभाव है. जानकारों की मानें तो नालंदा जिले से आने वाले प्रणव प्रकाश की कोशिश नीतीश कुमार के बाद खुद को कुर्मी जाति का स्वीकार्य नेता बनाने की है. ऐसे में 20 अप्रैल को हो रहे सामाजिक समरसता अभियान में वे एक बड़ी छाप छोड़ सकते हैं. चुकी कुर्मी जाति के लिए वे पिछले कई दशकों से लगातार काम करते हैं तो उन्हें इसका बड़ा फायदा इस रैली में मिल सकता है.