Bihar News: सूबे के सभी सरकारी लोकसेवकों को हर वित्तीय वर्ष में संपत्ति का ब्योरा देना अनिवार्य होता है.। लेकिन अब यह खानापूर्ति होने लगी है. सरकारी सेवक आधी संपत्ति को सार्वजनिक करते हैं, बाकि को छुपा लेते हैं. यह खेल धड़ल्ले से जारी है. हालांकि निगरानी विभाग की नजर इस पर पड़ गई है. निगरानी विभाग ने स्पष्ट आदेश दिया है कि जो सरकारी सेवक निर्धारित मानक का पालन नहीं कर रहे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जायेगी.
बिहार के कई पदाधिकारी या कर्मी निर्धारित मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। इससे संपत्ति के दिए व्योरे में कई खामियां रह जाती हैं, इसमें कई जरूरी जानकारी सामने नहीं आ पाती है। अब ऐसे लोक सेवकों केखिलाफ कार्रवाई की जाएगी। निगरानी विभाग ने सभी विभागों कोनिर्देश दिया है कि अपने- अपने कर्मियों द्वारा दिए गए संपत्ति के व्योरे में इस बात का खास तौर पर ध्यान रखें. निगरानी ने सभी विभागों से नियमानुसार व्योरा देने को कहा है.
निगरानी विभाग के स्तर पर हाल में हुई समीक्षा बैठक में इससे संबंधित निर्देश दिये गए हैं। संपत्ति का विवरण समय पर नहीं देने वाले पदाधिकारी का क्रिया-कलाप सरकारी कर्तव्य पालन में गंभीर कदाचार माना जाएगा, जिसके लिएउसके खिलाफ विभागीय कार्रवाई चलाई जा सकती है। जून 2021 में तत्कालीन मुख्य सचिव त्रिपुरारी शरण ने सभी विभागों को संपत्ति का ब्योरा प्रस्तुत करने को लेकर विस्तृत दिशा-निर्देश भेजा था.सभी कार्मियों को संपत्ति का ब्योरा प्रस्तृत करने की अनिवार्यता नि्धारित की गई थी. प्रत्येक कर्मी को पहली नियुक्ति से लेकर बाद के वर्षों में 31 दिसंबर के बाद फरवरी के अंत तक संपत्ति का विवरण देना है।संपत्ति जो उसकी अपनी हो या उसने अर्जिंत की हो या विरासत में मिलो हो सबकी जानकारी देनी है।