Bihar Police: बिहार पुलिस ने एक महत्वपूर्ण अभियान शुरू किया है, जिसमें वह उन एक लाख से अधिक लोगों की तलाश कर रही है जो शराब पीने के आरोप में पकड़े गए थे और अप्रैल 2022 से पहले जमानत पर जेल से बाहर हैं। यह अभियान विशेष रूप से उन मामलों को निपटाने के लिए है जो लंबे समय से अदालतों में लंबित हैं।
बिहार में शराबबंदी कानून 2016 में लागू हुआ था, जिसमें पहले शराब पीने पर पांच साल तक की सजा का प्रावधान था। बाद में इसे घटाकर तीन साल कर दिया गया। अप्रैल 2022 में इस कानून में संशोधन किया गया, जिसके तहत पहली बार शराब पीते हुए पकड़े जाने पर दो से पांच हजार रुपये का जुर्माना देकर छूटने का प्रावधान किया गया। दूसरी बार पकड़े जाने पर एक साल की सजा का प्रावधान रखा गया।
इस बदलाव का मुख्य उद्देश्य छोटे मामलों को जल्दी निपटाना और जेलों में भीड़ कम करना था। नए नियमों के तहत, पुलिस अब उन पुराने मामलों को खत्म करने की कोशिश कर रही है जिनमें लोग पहली बार शराब पीते हुए पकड़े गए थे।
लंबित मामलों की संख्या और प्रक्रिया
बिहार में लगभग 5.5 लाख मामले अभी भी लंबित हैं, जिनमें से करीब एक लाख ऐसे मामले हैं जिनमें आरोपित पहली बार पकड़े गए थे। हर जिले में औसतन 2,000 से 3,000 ऐसे लोग हैं जिन्हें पुलिस ने ढूंढना है। मद्य निषेध अधीक्षकों और थाना पुलिस को इन लोगों का पता लगाने और उन्हें समन भेजने का आदेश दिया गया है।
एक बार जब ये लोग समन प्राप्त कर लेते हैं, तो उन्हें विशेष उत्पाद न्यायालयों में पेश किया जाएगा ताकि उनके मामलों का त्वरित निपटारा हो सके। इस प्रक्रिया से अदालतों पर बोझ कम होगा और लंबित मामलों को तेजी से समाप्त किया जा सकेगा।
अभियान का उद्देश्य
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य बिहार राज्य के मद्य निषेध कानून के अंतर्गत लंबित मामलों को समाप्त करना है ताकि न्यायिक प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाया जा सके। इससे न केवल अदालतों पर बोझ कम होगा बल्कि यह सुनिश्चित करेगा कि जो लोग अब नए नियमों के तहत जुर्माना भरकर अपने मामलों को खत्म करना चाहते हैं, उन्हें ऐसा करने का अवसर मिले।