Gopalganj News: बिहार के गोपालगंज जिले के 47 से अधिक युवक कंबोडिया, थाईलैंड और म्यांमार में साइबर फ्रॉड के जाल में फंस गए हैं। इन युवकों को नौकरी के झूठे वादे के तहत टूरिस्ट वीजा पर भेजा गया था और अब वे इन देशों में साइबर अपराध में शामिल कर दिए गए हैं। इन मामलों में पाकिस्तान और चीन के साइबर अपराधियों की संलिप्तता की जांच एनआईए और ईओयू कर रही है।
एजेंट द्वारा ठगी: युवाओं को विदेश भेजने का झांसा
रौशन अली और साउद अली को एक एजेंट द्वारा थाईलैंड भेजा गया, जहां से उन्हें म्यांमार ले जाया गया। वहां उन्हें साइबर फ्रॉड में शामिल कर दिया गया। युवकों के परिवारों ने मदद की गुहार लगाई है, जिसमें उन्होंने बताया कि विरोध करने पर उन्हें यातनाएं दी जा रही हैं।
शुभम कुमार का अनुभव: साइबर अपराध से बच निकलने की कहानी
हथुआ थाना क्षेत्र के शुभम कुमार भी कंबोडिया में फंस गए थे। उन्हें मॉल में काम दिलाने का झांसा देकर थाईलैंड और फिर कंबोडिया भेजा गया। वहां से भागकर भारतीय दूतावास की मदद से वह वापस लौट पाए। शुभम ने साइबर थाने में एजेंटों के खिलाफ केस दर्ज कराया है और बताया कि विरोध करने पर उन्हें करंट के झटके दिए गए।
एनआईए और ईओयू की जांच: साइबर अपराधियों के ठिकानों पर छापेमारी
एनआईए की टीम ने गोपालगंज में कई ठिकानों पर छापेमारी की है और दस्तावेज बरामद किए हैं। बिहार पुलिस की एजेंसी ईओयू भी इस केस की जांच में शामिल हो गई है। इस मामले में कई एजेंटों और साइबर अपराधियों की पहचान की जा रही है जो भारतीय युवकों को फंसाकर उन्हें साइबर अपराध में धकेलते हैं।
पीड़ित परिवारों की गुहार: सरकार से मदद की मांग
फंसे हुए युवकों के परिवारों ने सरकार से मदद की अपील की है। परिवारों ने कहा है कि उनके बेटे रो-रो कर जल्द वापस बुलाने की गुहार लगा रहे हैं। वे सरकार से अपील कर रहे हैं कि उनके बच्चों को सुरक्षित भारत लाया जाए।