Bihar News: गया जी की पुण्यभूमि पर सिंदूर महायज्ञ का अद्वितीय आलोक, 6 करोड़ 50 लाख आहुतियाँ, नारीशक्ति की गूंज और सनातन का जागरण
गयाजी स्थित धर्मसभा भवन में स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के संरक्षण में तीसरे दिन श्री विद्या कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ में करोड़ आहुतिययाँ सुहासिनी महिलाओं और श्रद्धालुओं के द्वारा दिया गया।

Gayaji: गया जी की दिव्य भूमि, जहाँ पग-पग पर पुण्य की सुगंध बसी है, इस बार आस्था की अग्नि में सिंदूर की सुगंध और वैदिक स्वरों की ध्वनि से थर्राई। धर्मसभा भवन में स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी के संरक्षण में आयोजित श्री विद्या कोटि कुमकुमार्चन महायज्ञ का तीसरा दिवस वह क्षण था, जब श्रद्धा, शक्ति और सनातन की त्रिवेणी एक साथ उमड़ी।
इस महायज्ञ में सुहासिनी नारियों की गरिमामयी उपस्थिति, आस्था से भरपूर श्रद्धालुओं की सहभागिता और ऋचाओं के संग शक्ति रूपा माता ललिता की आराधना ने वातावरण को जैसे तपोभूमि में परिवर्तित कर दिया। महायज्ञ की मूल भावना बिहार के विकास, देश की प्रगति और विश्व शांति को समर्पित थी — और इस उद्देश्य की सिद्धि हेतु 6.5 करोड़ आहुतियाँ समर्पित की गईं, जबकि लक्ष्य मात्र 3 करोड़ की आहुतियाँ थीं। गया जी की वायु में मंत्रोच्चारण गूंजते रहे और हवनकुंड की लपटों में सिंदूर की आहुतियाँ जैसे भारत के भविष्य को आलोकित कर रही थीं। इस वैदिक अनुष्ठान में राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक क्षेत्र की तमाम विभूतियों की उपस्थिति ने यज्ञ को अद्वितीय गरिमा प्रदान की।
कैबिनेट मंत्री संतोष कुमार सुमन ने इसे सनातन का आधार बताते हुए "आपरेशन सिंदूर" को न्याय और चेतना का प्रतीक कहा। वहीं पर्यटन मंत्री राजू सिंह ने इसे युवाओं की प्रेरणा का स्रोत बताया। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उपेन्द्र त्यागी ने कहा कि युवाओं में सनातन के प्रति जो आकर्षण देखा गया, वह यज्ञ की सबसे बड़ी सिद्धि है। बिहार राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष प्रो. अप्सरा मिश्रा ने गर्व से कहा कि इस ऐतिहासिक यज्ञ में नारीशक्ति की अग्रगण्य भूमिका भारत के भविष्य की दिशा तय कर रही है। उनकी वाणी में आत्मबल और देशभक्ति दोनों की गूंज थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत जब विश्वशक्ति बनेगा, तो उसकी नींव संस्कार और सनातन में ही होगी।
पूर्व सांसद धीरेंद्र अग्रवाल, पूर्व विधान पार्षद लालबाबु प्रसाद, महिला आयोग की सदस्य पिंकी कुशवाहा सहित अन्य विशिष्ट अतिथियों ने यह स्पष्ट किया कि यह केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि संस्कृति की पुनर्स्थापना और युवाओं को आत्मबोध कराने का प्रयास है।
स्वामी अभिषेक ब्रह्मचारी ने कहा, “गया की पावन धरती से हम संकल्प लेते हैं कि प्रत्येक गाँव में धर्म की दीपशिखा जले, और युवा सनातन से जुड़े, यही हमारा जीवनार्थ है।अनिल स्वामी और हरिप्रपन्न पप्पू ने आगंतुक अतिथियों का स्वागत किया। गया में रचा गया यह सिंदूर महायज्ञ अब मात्र एक धार्मिक आयोजन नहीं रहा, बल्कि एक सांस्कृतिक जागरण और राष्ट्र पुनर्निर्माण की चिंगारी बन गया है, जिसकी लौ दूर तक जाएगी।