Bihar Industry News: बिहार में रोजगार को लेकर नीतीश सरकार सजग है। आए दिन बिहार में कई फैक्टरियां खोली जा रही है। जिससे रोजगार के कई अवसर राज्य में बन रहे हैं। इसी कड़ी में प्रदेश में 2025 तक 9 नई इथेनॉल फैक्ट्रियां खुलने जा रही हैं। जिससे राज्य में इथेनॉल उत्पादन को बड़ा बढ़ावा मिलेगा। इससे 13 करोड़ लीटर अतिरिक्त इथेनॉल का उत्पादन होगा और 50,000 लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। इसके अलावा, 15 जिलों में गन्ना और मक्का की खेती करने वाले लगभग 20,000 किसानों को भी सीधा फायदा होगा।
गन्ना और चीनी मिलों पर निर्भरता होगी कम
नई फैक्ट्रियों के खुलने से गन्ना उत्पादकों की चीनी मिलों पर निर्भरता कम हो जाएगी। इन नई फैक्ट्रियों की स्थापना भागलपुर, बेगूसराय, कैमूर, मुजफ्फरपुर, बाढ़, जमुई और वैशाली में 1-1, जबकि बक्सर में 2 स्थानों पर की जाएगी। भागलपुर और कैमूर में उत्पादन मार्च 2025 तक शुरू होने की संभावना है।
वर्तमान में इथेनॉल उत्पादन की स्थिति
मालूम हो कि फिलहाल बिहार में 12 इथेनॉल फैक्ट्रियां काम कर रही हैं जो 56.50 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन करती हैं। इसमें से 60% इथेनॉल दक्षिण भारत के राज्यों में निर्यात किया जाता है। राज्य में इथेनॉल की स्टोरेज क्षमता केवल 15 करोड़ लीटर है, जो कुल उत्पादन का एक-तिहाई से भी कम है। 2018 में बिहार में केवल 5.77 करोड़ लीटर इथेनॉल का उत्पादन होता था। पिछले 7 वर्षों में इथेनॉल उत्पादन में 10 गुना वृद्धि हुई है।
गन्ना और मक्का की खेती का विस्तार
नई फैक्ट्रियों की वजह से गन्ना और मक्का की खेती का क्षेत्रफल 13 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 17 लाख हेक्टेयर तक पहुंचने की उम्मीद है। बिहार में गन्ना उत्पादन पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, गोपालगंज, सीतामढ़ी, सिवान और समस्तीपुर में सबसे अधिक होता है। वहीं मक्का उत्पादन के प्रमुख जिले कटिहार, पूर्णिया, बेगूसराय, भागलपुर, मधेपुरा, खगड़िया, समस्तीपुर, अररिया और दरभंगा हैं।
गन्ना और मक्का के उपयोग
गन्ना उत्पादन- 70% गन्ना चीनी मिलों को बेचा जाता है। 20% इथेनॉल फैक्ट्रियों में उपयोग होता है। 10% गन्ना गुड़ और अन्य उत्पादों में खपत होता है। वहीं मक्का उत्पादन- 80% मक्का इथेनॉल के उत्पादन में उपयोग होता है। 20% मक्का भोजन और अन्य उपयोगों में खर्च होता है।
इथेनॉल के लाभ
इथेनॉल का उपयोग पेट्रोल में मिलाने, शराब बनाने, और प्रयोगशालाओं में कूलिंग उपकरणों के लिए किया जाता है। इसका उपयोग मवेशियों, सूअरों और मुर्गियों के चारे के रूप में भी किया जाता है। पेट्रोल में इथेनॉल मिलाने से कार्बन उत्सर्जन कम होता है और वायु प्रदूषण घटता है। यह पेट्रोलियम उत्पादों को सस्ता बनाने में मदद करता है।
उत्पादन बढ़ाने की योजना
उद्योग मंत्री नीतीश मिश्रा ने कहा कि नई फैक्ट्रियों के लगने से इथेनॉल का उत्पादन बढ़ेगा। जिससे राज्य की मांग पूरी होगी और अतिरिक्त इथेनॉल का निर्यात भी संभव होगा। 2025 तक 9 फैक्ट्रियां और 2026 तक शेष 7 फैक्ट्रियां उत्पादन शुरू कर देंगी। इससे बिहार का इथेनॉल उत्पादन वर्तमान मांग के अनुरूप बढ़ सकेगा।
सबसे अधिक इथेनॉल उत्पादन करने वाली कंपनी
1-बिहार डिस्टिलर्स एंड बोटलर्स प्रा. लि., भोजपुर- 9.08 करोड़ लीटर
2-पटेल एग्रो, नालंदा- 5.53 करोड़ लीटर
3-हरिनगर डिस्टलरी, पश्चिम चंपारण- 2.74 करोड़ लीटर
4-मुजफ्फरपुर बायोफ्यूल्स प्रा. लि.- 1.96 करोड़ लीटर
5-ग्लोबल स्प्रिट्स लि. वैशाली- 1.88 करोड़ लीटर
6-वेस्टवेल बायोरिफाइनरिज प्रा. लि., गोपालगंज- 1.87 करोड़ लीटर
7-न्यू स्वेदशी डिस्टलरी, नरकटियागंज- 1.74 करोड़ लीटर
8-भारत ऊर्जा डिस्टलरी, मुजफ्फरपुर- 1.53 करोड़ लीटर
9-भारत शुगर मिल सिधवालिया, गोपालगंज- 1.47 करोड़ लीटर
10-न्यू वे होम, बेगूसराय- 1.15 करोड़ लीटर