बिहार में पिछले 20 अगस्त से भूमि सर्वे का काम जारी है। भूमि सर्वे को लेकर रैयतदारों के मन में कई सवाल उठ रहे हैं। जिसका जवाब सरकार लगातार दे रही है। वहीं भूमि सर्वे में दस्तावेजों की कमी के कारण भी लोगों के बीच काफी असमंजस की स्थिति थी। इस समस्या के समाधान के लिए राजस्व एवं सुधार विभाग ने एक अधिसूचना जारी की है। इस अधिसूचना में जमीन के स्वामित्व से जुड़े कई महत्वपूर्ण सवालों के जवाब दिए गए हैं।
विभाग ने माना भू-अभिलेखों की स्थिति खराब
विभाग ने स्वीकार किया है कि बिहार में भू-अभिलेखों की स्थिति काफी खराब है। कई दस्तावेज दशकों पुराने होने के कारण नष्ट हो चुके हैं। इसी कारण लोगों को डर था कि दस्तावेजों के अभाव में उनकी जमीन छिन सकती है। विभाग ने माना है कि कैडस्ट्रल सर्वे को 100 साल और रिविजनल सर्वे को हुए 50 साल से ज्यादा समय दीमक लगने से बड़ी संख्या में जमीन के कागजात नष्ट हो गए हैं। इसके कारण लोगों के डर को समझते हुए सरकार ने अधिसूचना जारी किया है।
अधिसूचना में क्या कहा गया है
अधिसूचना में कहा गया है कि यदि आपके पास जमीन के दस्तावेज पूरे नहीं हैं तो भी आपका खाता खुल जाएगा। यदि आप शांतिपूर्वक जमीन पर कब्जा किए हुए हैं और आपके पड़ोसी भी इस बात को स्वीकार करते हैं तो आपका खाता खुल जाएगा। यदि आपकी जमीन का बंटवारा हुआ है और आप सभी हिस्सेदार इस पर सहमत हैं तो सभी हिस्सेदारों के अलग-अलग खाते खोले जाएंगे। यदि महिलाओं के नाम पर जमीन है और उन्होंने उसका परित्याग कर दिया है तो वंशावली में उनका नाम नहीं दिया जाएगा। यदि आपने सरकारी भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रखा है तो आपको स्वामित्व नहीं मिलेगा।
अधिसूचना से क्या फायदा होगा
लोगों के बीच फैला भ्रम दूर होगा। भूमि सर्वे का काम तेजी से होगा। जमीन के विवाद कम होंगे। बिहार में जमीन के विवादों का मुख्य कारण भूमि स्वामित्व को लेकर असमंजस है। इस अधिसूचना से लोगों को यह स्पष्ट हो जाएगा कि उन्हें अपनी जमीन के लिए क्या करना है। विभाग ने जारी अधिसूचना में कहा है कि बिहार विशेष सर्वेक्षण एवं बंदोबस्त नियमावली, 2012 के लागू होने की तिथि से ही में निर्देश मान्य होंगे। इससे अस्पष्टता या विवाद होने की स्थिति में सवें कर्मियों को भी निर्णय लेने में सुविधा होगी।
इन 11 प्वांइट से जानिए कैसे बिना दस्तावेज आपकी रहेगी जमीन
1. अगर आपके पास दखल-कब्जा और लगान की रसीद है पर दस्तावेज नहीं है तो भी आपका खाता खुल जाएगा।
2 शांतिपूर्वक दखल-कब्जा और पड़ोसी की जमीन ब्रिकी वाले दस्तावेज, विनिमय या निबंधित बंटवारा की चौहद्दी में नाम है तो खाता खुल जाएगा।
3 न जमाबंदी है, न लगान रसीद है। सिर्फ दखल- कब्जा है। ऐसे में खाता बिहार सरकार के नाम से खुलेगा पर अवैध दखलकार का नाम अभ्युक्ति कॉलम में दर्ज किया जाएगा।
4.बंटवारे में असहमति है तो संयुक्त खाता खुलेगा। वहीं, आपसी सहमति पर हस्ताक्षरित बंटवारा किया गया है तो सभी हिस्सेदारों का खाता अलग-अलग खोला जाएगा।
5. पंचनामा या मौखिक बंटवारा है। जमीन पर दखल-कब्जा भी है। ऐसे में लिखित सहमति के आधार पर अलग-अलग खाते खुल जाएंगे।
6. निबंधित जमीन खरीदी है। इसका म्यूटेशन नहीं कराया गया है। ऐसे में शांतिपूर्ण दखल-कब्जा और केवाला की सत्यता के आधार पर खाता खुल जाएगा। म्यूटेशन अनिवार्य नहीं है।
7. शपथ पत्र के माध्यम से महिला सम्पति का परित्याग कर दें। या फिर पिता की स्वअर्जित भूमि की वसीयत में पुत्री का नाम ना हो। तभी वंशावली में महिलाओं का नाम नहीं देना होगा।
8. पहले के सर्वे के खतियान के समय से ही गैर मजरूआ मालिक/अनाबाद बिहार सरकार की भूमि पर आवासीय दखल है। ऐसे में स्वामित्व मिल जाएगा।
9. हस्ताक्षरित बंटवारा के अनुसार अलग-अलग खाता खुल जाने के बाद किसी हिस्सेदार ने प्रपत्र 8 या 14 में आपत्ति कर संयुक्त खाता खोलने का अनुरोध किया तो फिर से संयुक्त खाता खोल दिया जाएगा।
10.जमाबंदी या लगान रसीद अपडेट नहीं हैं तो जमीन के वास्तविक दखल के अनुसार खतियान बन जाएगा।
11. गैरमजरुआ भूमि के हुकुमनामा के आधार पर पहली जनवरी 1946 के पहले से कट रही रसीद एवं दखल के आधार पर स्वामित्व निर्धारण होगा। भले ही जमींदारी रिटर्न उपलब्ध नहीं हो।