Bihar News: आस्था का अपमान करना कहाँ तक उचित है, आस्था और विश्वास का मजाक करना कितना सही है? धर्म छवियों और प्रतीकों से मजाक बनाने के कारण कई बार दंगे फसाद भी हो जाते हैं. यह गलती अगर प्रशासन करे तो इसे आप क्या कहेंगे.
दरअसल पटना में रावण दहन के दौरान एक विवाद उत्पन्न हुआ है, जिसमें पटना हाई कोर्ट के वकील सुशील रंजन सिन्हा ने आरोप लगाया है कि प्रशासन ने धार्मिक परंपरा के निर्वहन में लापरवाही बरती. उन्होंने कहा कि इस लापरवाही से करोड़ों लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची है. यह घटना तब हुई जब रावण दहन कार्यक्रम के दौरान निमंत्रण पत्रों को फाड़कर जमीन पर फेंका गया, जिससे प्रभु श्रीराम और माता सीता की छवियों का अपमान हुआ.
वकील सुशील रंजन सिन्हा ने सीएम नीतीश , पटना डीएम डॉ चंद्रशेखर और एसएसपी राजीव मिश्रा पर प्राथमिकी दर्ज करने की मांग की है. उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही से धार्मिक आस्था को चोट पहुंची है और इसे गंभीरता से लिया जाना चाहिए.
बता दें रावण दहन कार्यक्रम गांधी मैदान में आयोजित किया गया था, जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अन्य गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया. कार्यक्रम के दौरान निमंत्रण पत्रों को फाड़ने और उन्हें पैरों तले कुचलने की घटना ने उपस्थित लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया. निमंत्रण पत्र पर राम दरबार की छवि अंकित थी,जिसे फाड़ कर फेंका जा रहा था और लोगों के पैरों तल वह आ रहा था. अधिवक्ता ने इसे पूरी तरह से प्रशासनिक लापरवाही बताया है, जिससे धार्मिक भावनाओं का अपमान हुआ है.
रावण दहन के समय मुख्यमंत्री नीतीश के हाथ से तीर-कमान गिर गया. हालांकि, उन्होंने बाद में कार्यक्रम का आनंद लिया और रावण का वध किया. यह घटना भी चर्चा का विषय बनी रही.