Bihar News: नवादा जिले के नारदीगंज प्रखंड की डोहरा पंचायत के मोतनाजे गांव में भूमि अधिग्रहण के विरोध में ग्रामीण और प्रशासन आमने-सामने आ गए। प्रशासनिक अधिकारी गंगा जल उद्वह योजना के फेज टू के लिए भूमि अधिग्रहण के क्रम में मिट्टी जांच आदि की प्रक्रिया के लिए दल-बल के साथ जैसे ही पहुंचे ग्रामीणों ने कड़ा प्रतिरोध जताते हुए किसी को भी आगे ही नहीं बढ़ने दिया। मोतनाजे के साथ समीपस्थ मधुवन गांव के ग्रामीणों ने आनन-फानन में सड़क जाम कर दिया। इतना ही नहीं कई तो सड़क पर ही लेट गए। ग्रामीणों ने सड़क पर डेरा जमा कर खाना तक बनाना शुरू कर दिया।
ग्रामीणों का आरोप 300 एकड़ जमीन ले ही फिर भी...
प्रशासनिक अधिकारियों के पहुंचने की खबर के साथ ही सैकड़ों महिलाएं, युवा और बुजुर्ग ग्रामीण सड़क पर उतर गये। सभी का कहना था कि जब फेज वन के लिए 300 एकड़ जमीन ली जा चुकी है तो फिर से 400 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने का मतलब है। ग्रामीणों का कहना है कि नवादा के वाशिन्दों को बिल्कुल ही उजाड़ देने की योजना बनाई जा रही है। जबकि यहां लोगों की पुश्तैनी जमीन है और वर्षों से खेती-बारी कर अपनी आजीविका चला रहे हैं। सभी पुरुष और महिला एक ही स्वर में कहते मिले कि नीतीश की सरकार जानबूझ कर हम सभी को टार्गेट कर रही है।
गंगा जल उद्वह योजना के फेज टू के जमीन अधिग्रहण के लिए पहुंचे अधिकारी
गंगा जल उद्वह योजना के फेज टू के लिए अपने गांव की जमीन राज्य सरकार को देने से इंकार करते हुए ग्रामीण कपिल यादव, संजय कुमार, बिन्दा यादव, कृष्णा प्रसाद यादव, गोपाल यादव, कमलेश कुमार समेत अन्य ग्रामीणों ने कहा सरकार को इस योजना के तहत फेज वन के लिए जमीन दी जा चुकी है। लेकिन अब मोतनाजे और मधुवन गांव को खाली करवाकर विस्थापित करने का कुचक्र रचा जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस मामले को लेकर बीते 23 सितम्बर 2024 को डीएम को आवेदन देकर न्याय की गुहार लगायी गयी थी। इसके पूर्व भी इन दोनों गांव के ग्रामीणों को विस्थापित नहीं करने की मांग विभागीय अधिकारियों से की जा चुकी है। ग्रामीणों ने स्पष्ट कहा कि मधुवन और मोतनाजे गांव से समीप ही गया जिले के गहलौर घाट के पासलगभग आठ सौ एकड़ सरकारी भूमि उपलब्ध है। ऐसे में इस स्थान पर जलाशय निर्माण करने पर सरकार को भू अधिग्रहण के लिए सरकारी राशि भी खर्च नहीं करनी पड़ेगी।
ऐतिहासिक पर्यटक स्थल है नवादा
ग्रामीणों ने भूमि अधिग्रहण करने पहुंचे अधिकारियों से कहा कि पूर्व में तेतर के पास जलाशय बना है, जो फेज एक है। मधुवन गांव के पास राजगृह से अधिक गर्म जल है। राजगीर में 52 कुंड के बारे में कहा जाता है, उसमें इस गांव के तीन कुंड भी शामिल हैं। ऐसे में इस धरोहर को विनष्ट करना समझ से परे है। यहां स्नान करने से चर्मरोग से मुक्ति मिलती है। मकर सक्रांति में सुदूर इलाकों के लोग घूमने के लिए आते हैं और स्नान करते हैं। यह नवादा जिले का ऐतिहासिक पर्यटक स्थल है। यह अग्निधारा के नाम से नवादा जिले में विख्यात है। इसे पर्यटन स्थल में विकसित करने की जरूरत है लेकिन इसकी पहचान ही मिटाने पर सरकार आमादा है। यहां प्राचीनतम शिवलिंग भी है, जिससे हिंदू धर्म की आस्था जुड़ी है। इस दोनों गांव के लोग खेतिहर हैं।
ग्रामीणों का गंभीर आरोप
ग्रामीणों का कहा है कि उनके पास जीविकोपार्जन का साधन बस खेती है। पहाड़ी व जंगल होने के कारण पशुपालन ही यहां का साधन है। ऐसे में हमलोगों को विस्थापित किया गया तो हम सभी के समक्ष भूखे मरने की नौबत आ जायेगी। ग्रामीणों ने यह भी बताया कि सरकार के खिलाफ ग्रामीणों ने जमीन अधिग्रहण को लेकर पटना हाइकोर्ट में मामला दर्ज करा रखा है, जिसपर 18 नवम्बर 2024 को सुनवाई होना है। कोर्ट का फैसला सर्वोपरि है, हम सभी इसका सम्मान करेंगे। वहीं ग्रामीण का आरोप है तो पुलिस के द्वारा सभी लोगों पर लाठी चार्ज किया गया है और इसी दौरान भागने की क्रम में एक व्यक्ति को पुलिस के द्वारा चलाया गया रोड़ा से जख्मी हो गए और रोड पर गिर गए इसके बाद मौत हो गई है। मौत का आरोप पुलिस पर लगाया जा रहा है। जहां मृतक की पहचान भगवान दास के रूप में की गई है। मृतक के भतीजा पिंटू कुमार ने बताया कि मृतक का एक पुत्र है जो पटना में बिहार पुलिस में तैनात है। सभी लोगों ने कहा कि हम लोग आत्मदाह भी कर लेंगे लेकिन जमीन को नहीं छोड़ेंगे।
नवादा से अमन की रिपोर्ट