Bihar News: पटना जिला परिवहन कार्यालय ने राजधानी में ऑटो और टोटो (ई-रिक्शा) के परिचालन को व्यवस्थित करने के लिए नए नियम लागू किए हैं। इसके तहत, विभिन्न इलाकों के लिए अलग-अलग रंग कोड निर्धारित किए गए हैं ताकि आम लोगों को समझने में आसानी हो और जाम की समस्या से निजात मिल सके। आइए जानते हैं, इस नए नियम के तहत क्या परिवर्तन हुए हैं।
रंग-मार्ग का निर्धारण: किस क्षेत्र में कौन सा रंग?
पटना शहर को तीन जोनों में बाँटते हुए, जिला परिवहन कार्यालय ने हर इलाके के लिए अलग रंग कोड तय किया है। इन रंगों को पटना जंक्शन और जीपीओ को केंद्र में रखते हुए निर्धारित किया गया है।
पूर्वी और उत्तरी इलाके: हरे रंग के ऑटो और टोटो चलेंगे।
पश्चिम और उत्तरी क्षेत्र: पीले रंग के ऑटो और टोटो चलेंगे।
पश्चिमी और दक्षिणी इलाके: नीले रंग के ऑटो और टोटो चलेंगे।
विशेष रूप से पटना जंक्शन से पश्चिम की ओर जैसे बोरिंग रोड, अटल पथ, दीघा, रूपसपुर, सगुना मोड़ और दानापुर के लिए केवल पीले रंग के ऑटो का उपयोग होगा।
टोटो पर अलग-अलग रंग कोड का स्टीकर
परिवहन कार्यालय द्वारा प्रत्येक ऑटो और टोटो पर उसके मार्ग के अनुसार रंगीन स्टीकर लगाने का नियम भी तय किया गया है। पिंकू कुमार (एडिशनल डीटीओ, पटना) के अनुसार, इस योजना के तहत 13 अलग-अलग इलाके का रूट निर्धारित किया गया है, जिससे शहरी क्षेत्र में यात्रियों को रूट पहचानने में आसानी हो। इससे यात्री सुरक्षित तरीके से अपने गंतव्य तक पहुँच सकेंगे और ट्रैफिक का दबाव भी कम होगा।
परमिट प्रक्रिया में बदलाव: वाहन क्षमता के अनुसार परमिट
पटना में ऑटो और टोटो के परमिट देने की प्रक्रिया को फिर से शुरू किया जा रहा है। पिछले कुछ सालों से राजधानी में ऑटो और टोटो के परमिट देना बंद कर दिया गया था, लेकिन अब इसे दुबारा चालू करने का निर्णय लिया गया है।
नए नियमों के अनुसार, प्रत्येक ऑटो और टोटो को उसके यात्री बैठाने की क्षमता और मार्ग पर यात्री संख्या के आधार पर परमिट दिया जाएगा। इससे न केवल यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी, बल्कि ऑटो और टोटो चालकों की मांग को भी पूरा किया जा सकेगा, जो पिछले कई महीनों से परमिट देने की मांग को लेकर आंदोलन कर रहे थे।
नियमों का उद्देश्य: यातायात में सुधार और जाम की समस्या का समाधान
इस योजना का मुख्य उद्देश्य यातायात में सुधार करना और जाम की समस्या को कम करना है। पटना में लगातार बढ़ रहे ऑटो और टोटो के कारण जाम की स्थिति बन जाती थी। अलग-अलग रंग कोड और रूट निर्धारित कर देने से ऑटो और टोटो का संचालन अधिक सुव्यवस्थित होगा और यात्रियों को गंतव्य पहचानने में भी आसानी होगी।