GAYA - छठ पर्व सिर्फ बिहार के लोग करते हैं, यह बात अब बेमानी साबित हो गई है। साल दर साल महान छठ पर्व को अब बिहार के साथ दूसरे राज्य के लोग भी अपनाने लगे हैं और छठ पर्व करने लगे हैं। जिसका बड़ा उदाहरण गया के डीएम डॉ. त्यागराजन एसएम हैं, जो अब पूरी तरह से बिहार के रंग में रंग गए हैं और बिहार की संस्कृति और बिहार को पर्व को अपना लिया है।
मूल रूप से तमिलनाडु के कोयंबटूर में जन्मे त्यागराजन शालीन, व्यवहार कुशल, कर्मठ और ईमानदार जिलाधिकारी के तौर पर जाने जाते हैं । लेकिन इस बार छठ में वह बिहारी परिधान धोती कुर्ता पहने और सिर्फ छठ का दउरा लेकर नंगे पांव घाट की तरफ जाते नजर आए। वहीं साथ में उनकी पत्नी मांग में लंबा सिंदूर लगाए और हाथ में कलश लिए नजर आईं। देखने के बाद कहीं से भी यह कहना मुश्किल था कि यह बिहार के नहीं बल्कि दक्षिण भारत के सबसे अंतिम राज्य के रहनेवाले हैं।
एक अधिकारी के रूप में त्यागराजन के काम की हुई प्रशंसा
दो साल से गया में नियुक्ति के दौरान कई मौके पर उनका काम की प्रशंसा न सिर्फ बिहार सरकार ने की, बल्कि केंद्र ने भी पुरस्कृत कर किया है।
डॉ. त्यागराजन ने 2008 में कोयंबटूर के एमजीआर मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री हासिल की, वर्ष 2010 में आईपीएस बन बतौर एएसपी ओडिशा में ज्वाइन की, लेकिन जो लाइफ के साथ कामिटमेंट था उसे पूरा करने में लगे रहे और वर्ष 2011 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में चुन लिये गये और बिहार कैडर मिला।
डॉक्टर त्यागराजन एसएम का प्रशासनिक सफर बिहार के पूर्णिया से शुरू हुआ जहां वे प्रशिक्षु रहे। उसके बाद ख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अगस्त 2015 में अपने गृह जिले नालंदा का डीएम बनाया। वहां डॉ त्यागराजन लंबे समय तक रहे। इस दौरान इनकी दृढ़ इच्छाशक्ति वजह से नालंदा शहर स्मार्ट सिटी की रेस में आ गया। इतना ही नहीं, इनके कार्यकाल में राजगीर के भूई गांव में ठोस कचरा प्रबंधन को नया आयाम दिया जिसे देखने के लिए देश-विदेश के लोग आये दिन आते हैं। बेहतरीन कार्य कौशल के बल पर एकंगरसराय प्रखंड के चम्हेडा को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया। नालंदा में विद्युतीकरण कार्य बेहतर तरीके से कराने के लिये प्रधानमंत्री ने उन्हें सम्मानित किया।