Bihar DEO News: बिहार के शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए शिक्षा विभाग के द्वारा अलग अलग आदेश जारी किया जा रहा है। शिक्षा विभाग के एसीएस एस सिद्धार्थ जिले के सभी डीईओ के लिए नया फरमान जारी करते हैं, लेकिन कई ऐसे डीईओ है अपनी मनमानी करते हैं औऱ नियम विरुद्ध कार्य करते हैं। ऐसा ही एक मामला जमुई से सामने आया है।जिसके बाद डीईओ साहेब पर विभागीय डंडा चला है। दरअसल, अपने विवादास्पद निर्णयों के लिए चर्चा में रहने वाले जमुई के जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) राजेश कुमार पर अब कार्रवाई की तलवार लटक गई है। यह मामला तब का है जब वे बिहार संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना में पदस्थापित थे।
क्यों हो रही है कार्रवाई?
राजेश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने बोर्ड की स्वीकृति के बिना अपने स्तर पर निर्णय लेते हुए अजय कुमार और श्वेता कुमारी की नियुक्ति को मंजूरी दी। इसके अलावा, उन्होंने नियमों के विरुद्ध वेतन भुगतान का आदेश दिया और अन्य गैरकानूनी कार्य किए। इन आरोपों को सही मानते हुए बिहार के राज्यपाल ने इस मामले पर संज्ञान लिया है।
राज्यपाल का आदेश और अगली प्रक्रिया
बिहार के राज्यपाल के निर्देशानुसार, निदेशक (प्रशासन)-सह-अपर सचिव सुबोध कुमार चौधरी ने डीईओ राजेश कुमार के खिलाफ कार्रवाई का आदेश जारी किया है। उन पर बिहार सरकारी सेवक वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील नियमावली-2005 के नियम 17/19 के तहत विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।
कार्यवाही की जिम्मेदारी
पंकज कुमार, निदेशक, प्राथमिक शिक्षा, को संचालन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। उपेन्द्र कुमार, परीक्षा नियंत्रक, संस्कृत शिक्षा बोर्ड, पटना, को उपस्थापन पदाधिकारी नियुक्त किया गया है। संचालन पदाधिकारी को निर्देश दिया गया है कि वे तीन महीने के भीतर जांच प्रक्रिया पूरी कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें।
विवाद और विभाग में हड़कंप
राज्यपाल के आदेश के बाद शिक्षा विभाग में हड़कंप मच गया है। डीईओ राजेश कुमार पहले भी कई बार विवादों में रहे हैं। हाल ही में उन्होंने स्थापना डीपीओ के उस पत्र पर रोक लगा दी थी, जिसमें मध्याह्न भोजन योजना (एमडीएम) में अनियमितता के चलते विद्यालय प्रभारियों से राशि वसूलने का आदेश दिया गया था। विभागीय पदाधिकारियों के बीच असहमति और उनके शक्ति प्रदर्शन की घटनाएं भी चर्चा में रही हैं।
आगे की प्रक्रिया
अब यह देखना होगा कि डीईओ राजेश कुमार पर प्रपत्र क कब गठित होता है और विभागीय कार्रवाई कितनी जल्द पूरी होती है। शिक्षा विभाग के जिला स्तर के अधिकारियों के बीच इस मामले ने तनावपूर्ण स्थिति पैदा कर दी है।