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kishore kunal death news: आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर महावीर मंदिर न्यास ने जारी किया भावुक कर देने वाले प्रेस नोट, पढ़कर आपके भी आंखों में आ जाएंगे आंसू

आचार्य किशोर कुणाल एकदम परफेक्शनिस्ट थे। जबतक कोई कंटेंट एकदम से परफेक्ट न हो जाए, उसे अप्रूव नहीं करते थे।

kishore kunal death news: आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर महावीर मंदिर न्यास ने जारी किया भावुक कर देने वाले प्रेस नोट, पढ़कर आपके भी आंखों में आ जाएंगे आंसू
आचार्य किशोर कुणाल के निधन पर बोला महावीर मंदिर न्यास - फोटो : social media

kishore kunal death news: महावीर मंदिर न्यास के सचिव और IPS अधिकारी आचार्य किशोर कुणाल की आज रविवार (29 दिसंबर) को मृत्यु हो गई। इस पर महावीर मंदिर न्यास के जनसंर्पक विभाग के अधिकारी विवेक विकास ने एक भावुक कर देने वाला प्रेस रिलीज जारी किया, जो अपने और आचार्य किशोर कुणाल के बीत संबंधों के बारे में था। उन्होंने प्रेस रिलीज की शुरुआत करते हुए लिखा कि मैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि आचार्य किशोर कुणाल के नहीं होने की खबर मैं मीडिया को दूंगा। लेकिन अब यह हकीकत है। मैंने चार वर्षों पूर्व महावीर मंदिर न्यास के जनसम्पर्क अधिकारी के रूप में योगदान दिया था। मेरी रिपोर्टिंग आचार्य किशोर कुणाल को ही होती थी। उनके मार्गदर्शन में मैं महावीर मंदिर समेत न्यास के विभिन्न प्रकल्प जैसे विराट रामायण मंदिर, महावीर कैंसर संस्थान समेत सभी महावीर अस्पताल, राम रसोई, सीता रसोई आदि की रचनात्मक और विकासात्मक खबरों को मीडिया तक पहुंचाता था।

आचार्य किशोर कुणाल एकदम परफेक्शनिस्ट थे। जबतक कोई कंटेंट एकदम से परफेक्ट न हो जाए, उसे अप्रूव नहीं करते। मैंने देश के बड़े समाचार समूहों के साथ प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक दोनों मीडिया में लगभग डेढ़ दशक तक काम किया है। लेकिन आचार्य किशोर कुणाल के साथ काम करके मैंने अनुभव किया कि उन्हें खबरों की समझ कई बार अधिक होती थी। एक मझे हुए पत्रकार की तरह वे न्यूज एंगल जानते थे। एक-एक मिनट समय का कैसे उपयोग किया जाए, इसके वे एक नायाब उदाहरण थे।

आचार्य किशोर कुणाल बहुत संवेदनशील थे

महावीर मंदिर के अस्पतालों में गरीब मरीजों के प्रति आचार्य किशोर कुणाल बहुत संवेदनशील थे। मैंने कई बार अस्पताल के पदाधिकारियों को इस बात के लिए फटकार लगाते देखा कि उन्होंने अपेक्षा अनुरूप मरीजों को रियायत नहीं दी। इसके साथ ही वे फिजुलखर्ची के सख्त खिलाफ थे। अधीनस्थ कर्मचारियों से नाराज होने पर भी उन्हें कभी आप से तुम पर आते मैंने नहीं देखा-सुना। अच्छा काम करने पर वे अपने अंदाज़ में पुरस्कृत और प्रशंसित भी करते थे। उनका जुझारूपन देखने लायक था। एक और खास बात मैंने उनके व्यक्तित्व में देखी। एक बड़ा काम पूरा होने के पहले ही वे दूसरे बड़े काम में हाथ डाल देते थे। कई मौकों पर उनको यह कहते देखा-सुना कि महावीर मंदिर के पास द्रौपदी का अक्षय पात्र आ गया है। कोई भी काम महावीर मंदिर द्वारा शुरू किया हुआ नहीं रूकता। 

रचनात्मक कार्यों को लेकर रहते थे चर्चा में

हमेशा नये-नये और महत्वपूर्ण रचनात्मक कार्यों से आचार्य किशोर कुणाल मीडिया और लोगों के बीच चर्चा में रहते। महावीर मंदिर से उनका लगाव और जुड़ाव गजब का था। कहीं बाहर से पटना देर रात लौटने पर भी वे महावीर मंदिर आकर बाहर से ही नमन जरूर करते थे। महावीर मंदिर में विराजमान हनुमानजी के दोनों विग्रहों समेत अन्य देव विग्रहों के सामने खड़े होकर वे बहुत देर तक ऐसे एकटक लगाते जैसे वे अपने अराध्य से बातें कर रहे हों। पटना में होने पर महावीर मंदिर की शाम की आरती में वे जरूर पहुंचते थे। लेकिन यह विडंबना रही कि शरीर त्याग से दो दिनों पूर्व अस्वस्थ होने के कारण पटना रहकर भी वे महावीर मंदिर नहीं आ सके। धर्म और परोपकार के ऐसे महान मसीहा को मेरी ओर से अश्रुपूर्ण विनम्र श्रदांजलि!

 


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