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Patna College: पटना कॉलेज का 163वां स्थापना दिवस आज, बिहार के पहले सीएम से लेकर केंद्रीय मंत्री तक यहीं किए हैं पढ़ाई, जानिए कॉलेज का स्वर्णिम इतिहास

Patna College: पटना कॉलेज बिहार का सबसे पुराना और देश का पांचवां प्राचीनतम कॉलेज है। कॉलेज की स्थापना अंग्रेजों ने भारतीयों के सहयोग से की थी। जुलाई 1835 में पटना में पहली बार हाईस्कूल की स्थापना हुई।

Patna College
Patna College 163rd foundation day- फोटो : social media

Patna College: बिहार, झारखंड, ओडिशा और नेपाल का सबसे प्राचीन और ऐतिहासिक शैक्षणिक संस्थान पटना कॉलेज आज 162 साल पूरे कर 163वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है। गुरुवार यानी आज धूमधाम से कॉलेज का 163वां स्थापना दिवस मनाया जाएगा। शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन, और राजनीतिक गतिविधियों में अग्रणी भूमिका निभाने वाले इस प्रतिष्ठित संस्थान ने भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण और राष्ट्रकवि रामधारी सिंह 'दिनकर' जैसे महान व्यक्तित्वों को गढ़ा है।

पटना कॉलेज- परंपरा और प्रगति का संगम

पटना कॉलेज ने अपने गौरवशाली इतिहास में बिहार के शैक्षणिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक जीवन में उत्प्रेरक की भूमिका निभाई है। स्थापना के 163वें वर्ष में प्रवेश करते हुए यह कॉलेज एक नई शुरुआत और ऐतिहासिक उपलब्धियों की उम्मीद कर रहा है। इस खास अवसर पर कॉलेज को दुल्हन की तरह सजाया गया है।

समारोह की तैयारियां

स्थापना दिवस के मुख्य कार्यक्रम का आयोजन सेमिनार हॉल में होगा। पूरे कॉलेज परिसर को आकर्षक लाइटिंग और सजावट से तैयार किया गया है। उद्घाटन समारोह सुबह 11 बजे से शुरू होगा, जिसमें पटना यूनिवर्सिटी के अधिकारी, शिक्षक, और पूर्ववर्ती छात्र भाग लेंगे। प्राचार्य डॉ. संजय कुमार सिन्हा ने इसे गर्व का पल बताते हुए कहा कि कॉलेज अपनी पुरानी परंपराओं को जीवंत करते हुए नये अध्याय जोड़ने की दिशा में अग्रसर है।

कॉलेज का स्वर्णिम इतिहास

पटना कॉलेज बिहार का सबसे पुराना और देश का पांचवां प्राचीनतम कॉलेज है। कॉलेज की स्थापना अंग्रेजों ने भारतीयों के सहयोग से की थी। जुलाई 1835 में पटना में पहली बार हाईस्कूल की स्थापना हुई। 1839 में गवर्नर जनरल लॉर्ड ऑकलैंड के आदेश से पटना में एक केंद्रीय कॉलेज खोलने की योजना बनी। 26 सितंबर 1844 को इस स्कूल को कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ, लेकिन ढाई वर्ष के बाद ही यह कॉलेज बंद हो गया। 1856-57 में फिर से कॉलेज खोलने की योजना बनी, जो असफल रही। कारण आपसी मतभेद रहा। बिहार में आधुनिक शिक्षा की स्थापना दिवस के अवसर पर 28 अप्रैल, 1858 को पटना हाईस्कूल के बदले पटना में एक जिला स्कूल खोलने की योजना बनी। पटना हाईस्कूल का नाम बदलकर पटना जिला स्कूल कर दिया गया। पटना जिला स्कूल को पटना कॉलेज के रूप में स्थापित करने का सरकारी आदेश 15 नवंबर, 1861 को जारी हुआ। आदेशानुसार जिला स्कूल अगस्त, 1862 में पटना कॉलेजिएट स्कूल का रूप ले लिया। इस कॉलेजिएट स्कूल को 9 जनवरी, 1963 को कॉलेज का दर्जा मिला।

1867 में शुरू हुई बीए की पढ़ाई 

पटना कॉलेज में बीए की पढ़ाई 1867 से शुरू हुई। उस समय वकालत, विज्ञान, इंजीनियरिंग और कला की पढ़ाई होती थी। बाद में सायंस कॉलेज, पटना लॉ कॉलेज, बिहार इंजीनियरिंग कॉलेज में इन विषयों की पढ़ाई होने लगी। ये सभी कॉलेज पटना कॉलेज से ही निकले। इसलिए पटना कॉलेज को "मदर बोर्ड" भी कहा जाता है। पटना यूनिवर्सिटी भी पटना कॉलेज से ही बनी। 

इन लोगों ने पाया बेहतर मुकाम

पटना कॉलेज ने सैकड़ों विद्वान, प्रशासक, देशभक्त, अधिकारी, वकील, जज, पत्रकार, लेखक पैदा किये हैं। बिहार के प्रथम मुख्यमंत्री श्रीकृष्ण, जयप्रकाश नारायण, राष्ट्रकवि रामधारी सिंह ‘दिनकर’, अनुग्रह नारायण सिन्हा, सच्चिदानंद सिन्हा, डॉ टीपी सिंह, सर सुल्तान अहमद, इतिहासकार राम नारायण शर्मा, सैयद हसन अस्करी, योगेंद्र मिश्र, जगदीश चंद्र झा, गोरखनाथ सिंह, पंडित राम अवतार शर्मा, बलिराम भगत, टीपी सिंह, मुचकुंद दूबे, आरएस शर्मा, यशवंत सिन्हा, प्रो पी दयाल, अंजनी कुमार सिंह, डॉ अजीमुद्दीन अहमद, अरबी सर यदुनाथ सरकार, डॉ सुविमल चंद सरकार, डॉ डीएम दत्त, केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा व अन्य कई। यहां के छात्र उल्लेखनीय योगदान देते रहे हैं।

शिक्षा के क्षेत्र कॉलेजों ने अनेक रत्न दिये

शिक्षा के क्षेत्र में कॉलेज ने अनेक रत्नों दिये। कलीमुद्दीन अहमद, अख्तर औरेनवी अहमद और एस सदरूद्दीन अहमद उर्दू के विद्वान थे. बंगला साहित्य के जानेमाने हस्ती थे सरदींदु बनर्जी. भवानीचरण भट्टाचार्या और अमीया चक्रवर्ती अंग्रेजी के प्रसिद्ध ज्ञाता थे। रामाधारी सिंह दिनकर, शसमसुद्दीन अहमद हफीद और सैयद हसन उर्दू के, इकवाल हुसैन फासरी के, हरि मोहन झा मैथिली के, जनार्दन झा हिंदी कविता के, रमानाथ झा मैथिली के इतिहास के क्षेत्र में, सुभद्र झा मैथिली आलोचना के लिए, प्राणनाथ महंती उड़ीया भाषा के क्षेत्र में, खड्गमन मल्ल नेपाली लेख में, उपन्यासकार कृपनाथ मिश्र, बंगला कवि कलिंदी चरण पाणिग्रही एवं बैकुंठ नाथ पटनायक, हिंदी के विश्वनाथ प्रसाद, बंगला साहित्यकार एवं कवि आनंद शंकर रे, बंगला पत्रकार मनिंद्र चंद्र समाद्दार, हिंदी ड्रामा विशेषज्ञ देवेंद्र नाथ वर्मा, हिंदी कवि नलिन विलोचन शर्मा, साहित्यकार दिवाकर प्रसाद विद्यार्थी, साहित्यकार धर्मेंद्र ब्रह्मचारी, उर्दू के साहित्यकार अब्दुल बदूद आदि विद्यानों ने पटना कॉलेज का नाम जिस रूप में रौशन किया है वह कॉलेज के लिए अब तक गौरव की बात है. जानेमाने इतिहासकार प्रो रामशरण शर्मा, प्रो सय्यद हसन अस्करी, प्रो केके दत्त, राजनीति शास्त्र के विद्वान प्रो मेनन, प्रो फिलिप्स और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर बाथेजा जैसे शिक्षक यहां की गरिमा में चार चांद लगाते थे। 

नए अध्याय के ओर अग्रसर

स्थापना दिवस समारोह के अवसर पर प्राचार्य ने कहा कि कॉलेज न केवल अपनी पुरानी परंपराओं को जीवंत कर रहा है बल्कि नई सुविधाओं और योजनाओं के साथ छात्रों को बेहतर भविष्य देने की दिशा में काम कर रहा है। पटना कॉलेज शिक्षा और सांस्कृतिक उत्कृष्टता की मशाल को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है।

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