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PATNA HIGHCOURT NEWS - जमानत का कागजात होने पर भी युवक को जेल से नहीं किया रिहा, हाईकोर्ट ने बताया लापरवाही, कारागार एवं सुधार सेवा विभाग पर लगाया जुर्माना

PATNA HIGHCOURT NEWS - जमानत के आदेश होने के बाद जेल में बंद युवक को रिहा नहीं करने को लेकर हाईकोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। कोर्ट ने इसे कर्मियों की लापरवाही बताया. इसके साथ कारागार एवं सुधार सेवा विभाग को निर्देश दिया कि पीड़ित को मुआवजा दे।

 PATNA HIGHCOURT NEWS - जमानत का कागजात होने पर भी युवक को जेल से नहीं किया रिहा, हाईकोर्ट ने बताया लापरवाही, कारागार एवं सुधार सेवा विभाग पर लगाया जुर्माना

PATNA HIGHCOURT NEWS - पटना हाईकोर्ट ने सरकारी कर्मचारियों की लापरवाही पर कारागार एवं सुधार सेवा विभाग पर एक लाख रुपये का आर्थिक दंड लगाया।इसके पूर्व कोर्ट ने उन्हें व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था।  हलफनामा दायर कर कोर्ट को बताया गया कि दोषी कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई हैं। उन्हें निलंबित कर जबाब तलब किया गया है। 

जस्टिस पीबी बजंथरी और जस्टिस एस बी प्रसाद सिंह की खंडपीठ ने राम निवास गुप्ता की ओर से दायर आपराधिक रिट याचिका पर सुनवाई की।मामले पर सुनवाई के दौरान कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक कोर्ट में उपस्थित थे।

कोर्ट ने महानिरीक्षक को जुर्माना राशि की वसूली दोषी कर्मियों से करने की पूरी छूट दी। वही कोर्ट ने दोषी कर्मियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई  की प्रक्रिया छह माह के भीतर पूरा करने का आदेश दिया।

आवेदक की ओर से अधिवक्ता अरुण कुमार ने कोर्ट को बताया कि कॉपी राइट को लेकर आवेदक के खिलाफ विभिन्न थानों में एक ही प्रकार के आरोप लगा कर पांच केस दर्ज कराया गया है।उ नका कहना था कि तीन केस में जमानत मिलने के बाद जब जेल से छोड़ने के लिए कोर्ट से रिलीज आदेश जेल पर गया, तो जेल अधिकारियों ने उसे जेल से नहीं छोड़ा।

उन्होंने कहा कि आवेदक के खिलाफ दो केस में बॉडी वारंट जारी हो चुका है। लेकिन उसे रिमांड पर नहीं लिया गया है। इस आधार पर उसे जेल से जमानत पर नहीं छोड़ा गया। वही राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता ने कारागार एवं सुधार सेवा के महानिरीक्षक का बचाव करते हुए कहा कि जेल कर्मियों से गलती हुई हैं। लेकिन जेलकर्मी बॉडी वारंट को नजरअंदाज नहीं कर सकते। कर्मचारीगण आँख बंद कर किसी को जेल से नहीं छोड़ सकतें।

कोर्ट ने कहा कि सरकारी कर्मियों से गलती हुई हैं। जिस कारण आवेदक को बेवजह लम्बे समय तक जेल में रहना पड़ा। ऐसे में इस केस में आवेदक को कोई राहत नहीं दी जा सकती। लेकिन बेवजह जेल में रखने पर उसे मुआवजा देना होगा। कोर्ट ने सरकार को चार सप्ताह के भीतर एक लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही याचिका को निष्पादित कर दिया।


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