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सीएम नीतीश कुमार को प्रतिवादी बनाने की मांग को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने किया खारिज, अनुरोध करनेवाले पूर्व आईएएस पर लगाया जुर्माना

सीएम नीतीश कुमार को प्रतिवादी बनाने की मांग को सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने किया खारिज, अनुरोध करनेवाले पूर्व आईएएस पर लगाया जुर्माना

PATNA - सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने एक मामलें में मुख्यमंत्री को प्रतिवादी बनाये जाने और उनसे जबाब मांगे जाने के आवेदक के अनुरोध को खारिज करते हुए सीनियर आईएएस अधिकारी पर पचास हजार रुपये का आर्थिक दंड लगाया है।साथ ही ट्रिब्यूनल ने आवेदक आईएएस अधिकारी को मुख्यमंत्री का नाम और उनके पद को याचिका से हटाने का आदेश दिया है।

सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल के न्यायिक सदस्य रणवीर सिंह वर्मा और प्रशासनिक सदस्य कुमार राजेश चन्द्र की पीठ ने 1981 बैच के सीनियर आईएएस अधिकारी शिव शंकर वर्मा की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के बाद यह आदेश दिया।

आवेदक की ओर से सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में मामला दायर कर मुख्यमंत्री और नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री को नोटिस जारी कर उनसे जबाब मांगने का अनुरोध ट्रिब्यूनल से अनुरोध किया।

उनका कहना था कि दोनों इस मामलें में अनिवार्य प्रतिवादी हैं।न्याय के लिए इनको प्रतिवादी बनाने और जबाब मांगा जाने अति आवश्यक है।

वही इस याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि मुख्यमंत्री का पद एक सांवैधानिक पद हैं।नीतीश कुमार इस संवैधानिक पद पर हैं।उन्हें किसी अधिकारी से कोई आपसी दुश्मनी नहीं है।

उनका कहना था कि आवेदक के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला निगरानी थाना कांड संख्या 2/2007 दर्ज हैं।इन्हें सेवा से निलंबित कर दिया गया है।उनका कहना था कि सामान्य प्रशासन विभाग के प्रधान सचिव के दिये गए कारण के आधार पर मुख्य सचिव की सिफारिश को मुख्यमंत्री ने आधिकारिक क्षमता में स्वीकार किया था।

सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल ने कहा कि उच्च पदों पर बैठे लोगों को उनके कार्यों के लिए जवाबदेह नहीं ठहराया जाना चाहिए, लेकिन इस मामले में इन सामान्यीकृत प्रस्तुतियों पर नोटिस जारी करना, जो इस सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल को प्रथम दृष्टया संतुष्ट भी नहीं करती हैं। 

कानून की प्रक्रिया का दुरुपयोग करने के अलावा और कुछ नहीं है। यह देखना निराशाजनक है कि ट्रिब्यूनल  के समक्ष शुरू की गई इस तरह की मनमानी कार्यवाही के कारण समय बर्बाद होता है।

मुख्यमंत्री का नाम शामिल करने के  कारण आवेदक के इस तुच्छ याचिका को दायर करने और इस बात पर जोर देने के लिए पचास हजार रुपये का जुर्माना लगा दिया।

ट्रिब्यूनल ने आवेदक को निर्देश दिया कि इस मामले पर आगे की सुनवाई से पहले जुर्माना राशि को न्यायाधिकरण में जमा कर दे। साथ ही प्रतिवादी संख्या 4 (मुख्यमंत्री)और 5 (नीतीश कुमार) को हटाने का भी आदेश दिया।

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