kishore kunal Death: कब्र से लाश निकालकर जांच को आगे बढ़ाने जैसा साहस दिखा चुके थे किशोर कुणाल, जानें क्या था पूरा मामला?

किशोर कुणाल का नाम बिहार की पुलिस सेवा और सत्य की खोज में उनके अद्वितीय योगदान के लिए हमेशा याद किया जाएगा।

kishore kunal Death: कब्र से लाश निकालकर जांच को आगे बढ़ाने
किशोर कुणाल की रोचक बातें- फोटो : social media

kishore kunal Death: किशोर कुणाल महावीर मंदिर न्यास के अध्यक्ष और राम मंदिर पर रिसर्च करने वाले एक विद्वान की शख्सियत सिर्फ इन कामों तक सीमित नहीं थी। उनकी जिंदगी में एक IPS अधिकारी का साहस, जज्बा, और सत्य की खोज का जिक्र भी शामिल है। गुजरात कैडर के यह अधिकारी 80 के दशक में बिहार की राजधानी पटना के एसपी बने। इसी दौरान उन्होंने बिहार के सबसे चर्चित बॉबी हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाने की कोशिश की।

बॉबी हत्याकांड और कुणाल का साहस

बॉबी उर्फ श्वेतानिशा मर्डर केस वह घटना थी जिसने सेक्स, क्राइम, और राजनीति के अनसुलझे पहलुओं को सामने ला दिया।बॉबी की हत्या ने पटना से लेकर दिल्ली तक की राजनीति में भूचाल ला दिया।अखबारों की सुर्खियों और जनमानस के सवालों ने किशोर कुणाल को इस केस पर ध्यान देने को मजबूर किया।उन्होंने अखबारों की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए यूडी (अप्राकृतिक मृत्यु) केस दर्ज किया।

कब्र से लाश निकालकर पोस्टमार्टम

जांच के दौरान किशोर कुणाल ने कब्रिस्तान से बॉबी की लाश निकलवाई और पोस्टमार्टम कराया।इतनी तेज और साहसी कार्रवाई ने पूरे बिहार में उनकी प्रशंसा दिलाई। किशोर कुणाल ने अपनी किताब दमन तक्षकों में उल्लेख किया कि केस की गंभीरता ने कई बड़े नेताओं को बेचैन कर दिया।तत्कालीन मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा ने उनसे सीधे फोन पर मामले की जानकारी ली।कुणाल का जवाब था,"यह इतना संवेदनशील मामला है कि इसमें हाथ डालने से जल सकते हैं।"इसके बाद मुख्यमंत्री ने फोन रख दिया।

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सत्य के करीब पहुंची जांच

बॉबी की मां ने अदालत में बयान दिया था कि उसे किसने और कब जहर दिया।किशोर कुणाल ने यह साबित किया कि बॉबी की मौत न तो हादसा थी और न ही आत्महत्या, बल्कि यह हत्या थी।उनकी गहन जांच के लिए तत्कालीन मुख्य सचिव ने उन्हें बधाई दी।

राजनीतिक दबाव और सीबीआई जांच

जैसे-जैसे कुणाल की जांच गहराई तक पहुंची, राजनीतिक दबाव बढ़ने लगा। सरकार गिराने की धमकी दे डाली। दो मंत्रियों और कई विधायकों ने मुख्यमंत्री पर दबाव बनाया।अंततः मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। सीबीआई की जांच में आरोपी दोषमुक्त करार दिए गए।

किशोर कुणाल: एक आदर्श पुलिसवाला

हालांकि यह केस कानूनी रूप से अंजाम तक नहीं पहुंचा, लेकिन किशोर कुणाल ने यह दिखा दिया कि एक पुलिस अधिकारी चाहे तो किसी भी उलझे हुए केस को सुलझाने की ताकत रखता है।