आज हम इस आर्टिकल में बात करेंगे ज्वार के बारे में, आज से लगभग 5000 साल पहले ऑस्ट्रेलिया, अफ्रीका, एशिया और मध्य अमेरिका में ज्वार बड़े पैमाने पर उगाया जाता था। यह लोगों के भोजन का मुख्य हिस्सा हुआ करता था। अब इसकी जगह गेहूं ने ले ली है। हालांकि, बीते कुछ सालों में कर्नाटक के हुबली में पैदा हो रहे ज्वार की मांग ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका में फिर से बढ़ी है।
भारत में अभी भी ज्वार की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। पहले इसकी हरी पत्तियां जानवरों को खिलाई जाती है। ज्वार की फसल तैयार होने पर यह अनाज की तरह इस्तेमाल किया जाता है। ज्वार दुनिया में पांचवां सबसे ज्यादा खाया जाने वाला अनाज है। ज्वार जितना अपने अद्भुत स्वाद के लिए जाना जाता है, उतना ही अपने पोषक तत्वों के लिए भी। ज्वार वेट लॉस में मदद करता है, डायबिटिक लोगों के लिए सुरक्षित है। यह एंटी इंफ्लेमेटरी है और इसमें कैंसररोधी तत्व भी होते हैं।
फाइबर, कार्ब्स और प्रोटीन ज्वार में मौजूद
ज्वार एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है। इसका मतलब ये है कि ज्वार खाना ज्यादातर लोगों के लिए सेफ है। जो लोग ग्लूटेन-इनटॉलरेंट हैं, उनके लिए भी यह अनाज सेफ है। इसे किसी अन्य सब्जी या अनाज के बिना भी पकाया और खाया जा सकता है। हालांकि आमतौर पर इसका आटा बनाकर खाया जाता है। ज्वार में फाइबर, कार्ब्स और प्रोटीन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं। जिससे शरीर को जरूरी ऊर्जा मिलती है और पाचन आसान होता है। प्रोटीन की मौजूदगी से पेट देर तक भरा हुआ महसूस होता है। इसलिए वेट लॉस में मदद मिलती है।
ज्वार से स्किन और बाल हेल्दी होते हैं
ज्वार विटामिन B6 से भरपूर होता है। इसमें पोटेशियम, कैल्शियम और आयरन जैसे शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स होते हैं। इनकी मौजूदगी के कारण ही ज्वार सेहत के लिए इतना लाभकारी होता है। इससे शरीर की रोजाना जरूरत का कितना हिस्सा मिलता है। ज्वार खाने से पाचन तंत्र दुरुस्त होता है। इसे खाने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। इसलिए यह डायबिटिक लोगों के लिए भी फायदेमंद है। ज्वार विटामिन B सहित कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर है। इससे मेटाबॉलिज्म एक्टिव होता है और नर्व सेल डेवलपमेंट में मदद मिलती है। इससे स्किन और बाल हेल्दी बने रहते हैं।
ज्वार की रोटियां खाई जाती
अगर ज्वार की रोटियां बनाकर खा रहे हैं तो इसे रोजाना खा सकते हैं। इसका मतलब है कि दिन की दो सर्विंग में ज्वार की बनी रोटियां खा सकते हैं। गेहूं से पहले भारत में आमतौर पर ज्वार की रोटियां ही खाई जाती थीं। अभी भी कई देशों में ज्वार को प्राइमरी अनाज की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है। इसका मतलब है कि ज्वार खाना पूरी तरह सेफ है। इसकी लिमिट के लिए माप-तौल की जरूरत नहीं है, लेकिन बहुत अधिक खाने से ब्लोटिंग या पेट दर्द की समस्या हो सकती है।