लखीसराय में कांग्रेस से टिकट पाने वालों की जंग तेज ! दावेदारों की लंबी फेहरिस्त, दूसरे दलों के नेता भी लगा रहे जुगाड़

लखीसराय में उप मुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा के खिलाफ कांग्रेस से कौन चुनाव लड़ेगा इसे लेकर दावेदारों की लिस्ट लंबी होती जा रही है. न सिर्फ कांग्रेस बल्कि राजद के नेता भी अब टिकट की जुगाड़ में हैं.

Lakhisarai assembly constituency
Lakhisarai assembly constituency - फोटो : news4nation

Congress : लखीसराय विधानसभा सीट पर कांग्रेस में टिकट दावेदारों की होड़ मची हुई है। जिला से लेकर प्रदेश मुख्यालय तक टिकट की लॉबिंग तेज हो गई है और दावेदारों की गतिविधियों ने कांग्रेस खेमे में गहमागहमी बढ़ा दी है। सूत्रों का कहना है कि न सिर्फ परम्परागत कांग्रेसी नेता बल्कि कई अन्य ऐसे चेहरे भी टिकट की होड़ में हैं जो अब तक दूसरे दलों के साथ रहे हैं। एक ओर जहां कांग्रेस नेताओं ने खुद को कई धड़ों में बाँट रखा है, वहीं कुछ अन्य दलों के नेता भी कांग्रेस का हाथ थामने को बेताब माने जा रहे हैं।

कुछ सीटों पर अदला-बदली की चर्चाओं के बीच कांग्रेस ने लखीसराय को लेकर अपना इरादा स्पष्ट कर दिया है। पार्टी ने साफ कर दिया है कि यह सीट किसी भी हाल में नहीं छोड़ी जाएगी। नतीजतन, कांग्रेस खेमे में टिकट की दावेदारी को लेकर सरगर्मी तेज हो गई है और जिले से लेकर आसपास के क्षेत्रों तक के नेता कांग्रेस की चौखट पर दस्तक दे रहे हैं।


अमरेश कुमार अनीश

कांग्रेस जिला अध्यक्ष और 2020 के प्रत्याशी अमरेश कुमार अनीश इस बार भी टिकट के सबसे प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। 2020 में उन्होंने करीब 64 हजार वोट हासिल किए थे। हार के बावजूद संगठन से जुड़ाव और पिछले चुनावी अनुभव के आधार पर वे दोबारा टिकट पाने की जुगत में हैं। हालांकि कांग्रेस संगठन में उनके नाम का विरोध करने वाला एक मजबूत धड़ा सक्रिय है। ऐसे में उनके खिलाफ लामबंदी करने वालों की भी लंबी फेहरिस्त है।


गोरखनाथ

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गोरखनाथ, पूर्व आईएएस अधिकारी रह चुके हैं, पिछले वर्ष ही कांग्रेस ज्वाइन करने के बाद से लखीसराय क्षेत्र में लगातार सक्रिय हैं। वे इलाके में लगातार घूम रहे हैं, स्थानीय लोगों और कार्यकर्ताओं से जुड़े हुए हैं और क्षेत्र की समस्याओं को लगातार उठाते रहते हैं, जिससे उनका जमीनी प्रभाव बढ़ता जा रहा है। उनके प्रशासनिक अनुभव और सक्रियता ने उन्हें टिकट की रेस में एक महत्वपूर्ण दावेदार बना दिया है। इतना ही पार्टी के शीर्ष नेताओं के साथ भी गोरखनाथ की नजदीकियां उन्हें प्रबल दावेदार बना रही हैं। 


अंगेश सिंह

कांग्रेस नेता अंगेश सिंह भी टिकट की दौड़ में शामिल हैं। वे लगातार इलाके की समस्याओं को उठा रहे हैं और दावा करते हैं कि जनता परिवर्तन चाहती है। उनका कहना है कि वे “पद नहीं, बल्कि जनता की सेवा” को प्राथमिकता देते हैं। अंगेश सिंह पूर्व में आम आदमी पार्टी के बिहार प्रदेश उपाध्यक्ष भी रह चुके हैं और अन्ना आंदोलन के समय से ही अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़े रहे हैं। उनके पास लंबे समय का संगठनात्मक और राजनीतिक अनुभव है, जिसे वे स्थानीय स्तर पर सक्रियता और वोट बैंक निर्माण में इस्तेमाल कर रहे हैं।


डॉ. कुमारी सोनी

प्रदेश महिला कांग्रेस की कार्यकारी अध्यक्ष और संगठन में सक्रिय नेता डॉ. कुमारी सोनी इस बार लखीसराय सीट से टिकट की दौड़ में शामिल हैं। पार्टी में महिलाओं को संगठन से जोड़ने में उन्होंने सबसे अधिक महिला सदस्य बनाने का काम किया है, जिससे उनके संगठनात्मक कौशल और मेहनत की छवि बनी। राजनीतिक हलकों में यह भी कहा जाता है कि वे कांग्रेस नेता अलका लांबा की करीबी हैं, जिससे उनका पार्टी में प्रभाव और मजबूत होता है। महिला प्रतिनिधित्व और संगठनात्मक पकड़ के कारण उनका नाम पैनल में प्रमुख दावेदारों में गिना जा रहा है।


फुलेना सिंह

पूर्व विधायक फुलेना सिंह, जो अभी भी राजद से जुड़े हुए हैं, अब कांग्रेस से टिकट की कोशिश में हैं। सूत्रों का कहना है कि वे लगातार कांग्रेस मुख्यालय के संपर्क में हैं और अपनी पुरानी पकड़ और चुनावी अनुभव को टिकट पाने का आधार के तौर पर इस्तेमाल कर रहे हैं। फुलेना सिंह ने 2000 से 2020 तक लखीसराय विधानसभा सीट से कुल पांच चुनाव लड़े। 2000 में RJD के टिकट पर उन्होंने 34,192 वोट पाकर कृष्ण चंद्र सिंह (BJP) से 12,180 वोट से हार गए। फरवरी 2005 में 26,106 वोट के साथ विजय कुमार सिन्हा (BJP) से 1,448 वोट से हार गए, लेकिन अक्टूबर 2005 में 41,448 वोट पाकर विजय कुमार सिन्हा को केवल 80 वोट से हराकर जीत दर्ज की। 2010 में 18,837 वोट के साथ वे विजय कुमार सिन्हा (BJP) से 59,620 वोट से हार गए। फुलेना सिंह ने इस हार का कारण बताया कि 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह के साथ कदम मिलाया, जिसका असर 2010 के विधानसभा चुनाव में उन्हें भुगतना पड़ा। 2020 में फुलेना सिंह ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़ा और 10,938 वोट (5.69%) प्राप्त कर चौथे स्थान पर रहे, जबकि विजय कुमार सिन्हा विजयी रहे। पाँच चुनावों में केवल अक्टूबर 2005 में जीत दर्ज करने वाले फुलेना सिंह के लंबे चुनावी अनुभव और क्षेत्र में सक्रियता को ध्यान में रखते हुए उनकी कांग्रेस से टिकट की दावेदारी को पार्टी के भीतर गंभीर माना जा रहा है।


विनय सिंह और अजय सिंह

विनय सिंह, जो राजद के विधान परिषद सदस्य अजय सिंह के भाई हैं, इस बार कांग्रेस से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। वे कारोबारी हैं और अपने व्यवसाय और संसाधनों को संभालते हैं। सूत्रों के अनुसार हाल ही में उन्होंने कांग्रेस स्क्रीनिंग समिति में अपना नाम पेश किया, जिससे उनकी दावेदारी औपचारिक रूप से मजबूत हो गई है। राजनीतिक और आर्थिक संसाधनों के आधार पर माना जा रहा है कि वे फंडिंग और संगठनात्मक समर्थन दोनों में सक्षम हैं, जिससे टिकट पाने की उनकी संभावना बढ़ती है। अजय सिंह, जो वर्तमान में राजद से विधान परिषद सदस्य हैं, क्षेत्र में लगातार सक्रिय रहते हैं। हाल ही में राहुल गांधी की लखीसराय सभा के पहले उनके पोस्टर लगाए गए थे, जिन्हें फाड़ दिया गया। इस घटना के दौरान अजय सिंह ने घोषणा की कि विजय कुमार सिन्हा अब लखीसराय से विधायक नहीं रहेंगे।


सुजीत कुमार

सूत्रों के अनुसार सुजीत कुमार भी इस बार लखीसराय विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट के दावेदारों में शामिल हैं। 2015 और 2020 में वे निर्दलीय उम्मीदवार रहे हैं और अपने चुनावी अनुभव और स्थानीय नेटवर्क के आधार पर पार्टी के भीतर प्रभाव रखते हैं। उनके राजनीतिक कनेक्शन का फायदा क्षेत्र में देखा जा सकता है, क्योंकि वर्तमान में बड़हिया नगर परिषद की सभापति उनकी पत्नी हैं। हालांकि पिछली बार उन्होंने डिजिटल सर्वे में राजद का कार्यकर्ता बनने की इच्छा जताई थी। कहा जा रहा है कि वे सक्रिय रूप से कांग्रेस मुख्यालय के संपर्क में हैं और टिकट की दावेदारी मजबूत करने की कोशिश में लगे हुए हैं। राजनीतिक हलकों में यह भी कहा जाता है कि वे मुंगेर सांसद ललन सिंह के करीबी माने जाते हैं, जो बिहार में जदयू के कद्दावर नेताओं में शामिल हैं। ऐसे में उनके टिकट में जदयू से जुड़ाव एक बड़ी चुनौती हो सकती है।


कांग्रेस के सामने चुनौती

लखीसराय में कांग्रेस के सामने चुनौती यह है कि टिकट के इतने दावेदारों में से सही चेहरे का चयन कैसे किया जाए। गुटबाजी बढ़ने से पार्टी को नुकसान भी हो सकता है, वहीं भाजपा के दिग्गज और उपमुख्यमंत्री विजय कुमार सिन्हा का किला भेदना कांग्रेस के लिए बड़ी परीक्षा होगी।  एक ओर जहां विधानसभा टिकट के कई दावेदारों के बीच चयन करना मुश्किल हो रहा है, वहीं दूसरी ओर भीतरघात और गुटबाजी का खतरा भी लगातार बढ़ रहा है, जिससे चुनावी तैयारी प्रभावित हो सकती है।