Bihar Muzaffarpur liquor smuggling: बिहार में शराब तस्करी के लिए स्मगलर ने चलाया चाचा चौधरी का दिमाग! पता लगाने में पुलिस के भी छूट गए पसीने
बिहार के मुजफ्फरपुर में तस्करों ने शराब तस्करी के लिए बोलेरो में गुप्त तहखाना बनाया। पुलिस ने वाहन से 240 लीटर शराब बरामद की और आरोपियों को गिरफ्तार किया। जानें पूरी घटना।

Bihar Muzaffarpur liquor smuggling: बिहार में पूर्ण शराबबंदी के बावजूद शराब तस्करी के अनोखे तरीके सामने आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला मुजफ्फरपुर जिले के साहेबगंज थाना क्षेत्र से सामने आया है, जहां तस्करों ने शराब सप्लाई के लिए बोलेरो वाहन को मॉडिफाई कर एक गुप्त तहखाना बना लिया था। पुलिस ने इस वाहन को चेकिंग के दौरान पकड़ा और तहखाने से 240 लीटर शराब बरामद की।
बोलेरो में तहखाना: शराब तस्करी का अनोखा तरीका
यह घटना साहेबगंज थाना क्षेत्र के बैद्यनाथपुर के पास की है, जहां पुलिस नियमित वाहन चेकिंग कर रही थी। एक बोलेरो वाहन में बैठे दो संदिग्ध व्यक्तियों ने जांच से बचने की कोशिश की, जिससे पुलिस को शक हुआ। पूछताछ के बाद, आरोपियों ने कबूल किया कि गाड़ी के पिछले हिस्से में शराब छिपाई गई है।
जब पुलिस ने वाहन की बारीकी से जांच की, तो पता चला कि बोलेरो के पिछले हिस्से को काटकर एक गुप्त तहखाना बनाया गया था, जिसे नट और स्क्रू से इस तरह फिट किया गया था कि बाहर से कोई असामान्य बात नजर नहीं आए। पुलिस ने बताया कि इस तहखाने में 240 लीटर शराब छिपाई गई थी, जिसे उत्तर प्रदेश से लोड कर वैशाली जिले में सप्लाई किया जाना था।
तहखाना खोलने में पुलिस को करनी पड़ी मशक्कत
बोलेरो में बना यह तहखाना इतनी सफाई से तैयार किया गया था कि इसे खोलना पुलिस के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हुआ। अंततः एक स्थानीय मैकेनिक को बुलाया गया, जिसने आधे घंटे की मशक्कत के बाद तहखाना खोला और शराब को बाहर निकाला। पुलिस अधिकारियों ने स्वीकार किया कि इस तरह की तस्करी की योजना उन्होंने पहली बार देखी है।
पुलिस की कार्रवाई
घटना के बाद पुलिस ने बोलेरो वाहन को जब्त कर लिया और दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि शराब उत्तर प्रदेश से लोड की गई थी और इसे बिहार के वैशाली जिले में विभिन्न स्थानों पर सप्लाई किया जाना था।
साहेबगंज थाना के एसएचओ सिकंदर कुमार ने बताया कि यह शराब तस्करी का अनोखा तरीका था, जिसमें वाहन के पिछले हिस्से को मॉडिफाई करके तहखाना बनाया गया था। अब पुलिस इस तस्करी नेटवर्क के बैकवर्ड और फॉरवर्ड लिंक की जांच में जुटी है, ताकि इस गिरोह में और कौन-कौन लोग शामिल हैं, इसका पता लगाया जा सके।