Bihar News: मुजफ्फरपुर लोक अदालत में अव्यवस्था, वाहन चालान निपटारे में देरी से भड़के लोग , कोर्ट परिसर में हंगामा

Bihar News: लोक अदालत के दौरान उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब वाहन चालान के निपटारे में हो रही देरी और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव से नाराज लोगों का सब्र टूट गया।

Chaos at Muzaffarpur Lok Adalat
वाहन चालान निपटारे में देरी से भड़के लोग- फोटो : reporter

Bihar News: मुजफ्फरपुर जिला न्यायालय परिसर में शनिवार को आयोजित लोक अदालत के दौरान उस वक्त अफरा-तफरी मच गई, जब वाहन चालान के निपटारे में हो रही देरी और स्पष्ट दिशा-निर्देशों के अभाव से नाराज लोगों का सब्र टूट गया। बड़ी संख्या में पहुंचे वाहन चालकों ने अव्यवस्था को लेकर जमकर हंगामा किया, जिससे कुछ देर के लिए कोर्ट परिसर में तनावपूर्ण माहौल बन गया। सुरक्षा कर्मियों और न्यायालय कर्मियों ने कड़ी मशक्कत के बाद हालात पर काबू पाया।

लोक अदालत में शहर और आसपास के इलाकों से सैकड़ों वाहन चालक अपने लंबित चालानों के त्वरित निपटारे की उम्मीद लेकर पहुंचे थे। लोगों का कहना था कि लोक अदालत का मकसद सरल और शीघ्र न्याय है, लेकिन घंटों इंतजार के बावजूद न तो कोई ठोस जानकारी दी गई और न ही यह बताया गया कि चालान का निपटारा किस प्रक्रिया से होगा।

बाइक का 13 हजार रुपये का चालान निपटाने पहुंचे आमोद शाह ने बताया कि उन्हें उम्मीद थी कि लोक अदालत में राहत मिलेगी, लेकिन यहां कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। उनका आरोप था कि मौके पर मौजूद अधिकारी सिर्फ बैठने को कह रहे थे, यह बताने को तैयार नहीं थे कि मामला कब तक सुलझेगा।

वहीं अजित कुमार ने आरोप लगाया कि उनकी गाड़ी का इंश्योरेंस वैध होने के बावजूद चालान काट दिया गया। उन्होंने बताया कि एक वाहन पर 6 हजार रुपये और दूसरे पर 2500 रुपये का चालान है। अजित का कहना था कि जिन मामलों में दस्तावेज पूरे हैं और नियमों का पालन किया गया है, वहां चालान माफ किया जाना चाहिए।

अव्यवस्था और समुचित जानकारी के अभाव ने लोगों में भारी असंतोष पैदा कर दिया। नाराज वाहन चालकों का कहना था कि उन्हें बिना समाधान के वापस लौटना पड़ रहा है, जिससे लोक अदालत की सार्थकता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। बाद में अधिकारियों के हस्तक्षेप और समझाने-बुझाने से मामला शांत तो हो गया, लेकिन लोगों की नाराजगी साफ झलकती रही। लोक अदालत से लौटते लोगों के चेहरे पर एक ही सवाल था, जब न्याय के लिए बनाए गए मंच पर ही भटकना पड़े, तो आम आदमी आखिर जाए कहां?

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा