Love Affair: दो बच्चों की मां पर चढ़ा इश्क का खुमार, मुहब्बत का एविडेंस बना मंदिर, पंचायत ने सुनाया बड़ा फैसला

Love Affair :मोहब्बत की रात कितनी भी काली हो,सुबह होते ही राज खुल ही जाता है। ऐसा ही हुआ। ग्रामीणों ने दोनों प्रेमियों को मिलते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया, और फिर वह फैसला हुआ, जिसकी उम्मीद शायद खुद प्रेमियों को भी न थी

Muzaffarpur Love Affair
दो बच्चों की मां पर चढ़ा इश्क का खुमार- फोटो : reporter

Love Affair:दो बच्चों की मां सुरुचि कुमारी और युवक दीपक चौरसिया के बीच पनपा प्रेम चोरी-छिपे चल रहा था, लेकिन मोहब्बत की रात कितनी भी काली हो—सुबह होते ही राज खुल ही जाता है। ऐसा ही हुआ। ग्रामीणों ने दोनों प्रेमियों को मिलते हुए रंगे हाथों पकड़ लिया, और फिर वह फैसला हुआ, जिसकी उम्मीद शायद खुद प्रेमियों को भी न थी शादी।मुजफ्फरपुर के कांटी थाना क्षेत्र में वह नज़ारा देखने को मिला, जिसे लोग आमतौर पर फ़िल्मों और किस्सों में ही सुनते हैं। यहां नरसंडा गांव का इश्क़ उस मोड़ पर पहुँचा, जहाँ प्रेम की जीत पर सलाम ठोंक दे। 

राम-जानकी मंदिर, सरमसपुर यह वही जगह है जहाँ रविवार की दोपहर गांव के लोग गवाह बने और दोनों का विवाह हिंदू रीति-रिवाज से संपन्न कराया गया। अपराध और नैतिकता के बारीक फ़रकों पर चलती यह कहानी अचानक सामाजिक मान्यता की मुहर पा गई। ग्रामीणों ने न सिर्फ प्रेमियों को पकड़ा, बल्कि सज़ा के बजाय बंधन का रास्ता चुन लिया। यह वही गांव है जहाँ अक्सर पंचायतें कठोर फैसलों के लिए मशहूर होती हैं, मगर यहां प्रेम के मामले में समाज ने खुद को जज भी बनाया और बराती भी।

दूल्हा बने दीपक चौरसिया से जब पूछा गया कि यह सब कैसे हुआ, तो वह मुस्कुराते हुए बोले कि सब दैविक कृपा है… शादी हुई है और मैं बहुत खुश हूं। अब दुल्हन को लेकर घर जा रहा हूं। उसकी आवाज़ में अपराध-बोध की कोई खरोंच नहीं, बल्कि विजय की सादगी और संतोष की चमक थी।

उधर दुल्हन बनी सुरुचि कुमारी जो पहले से दो बच्चों की मां हैं ने भी अपने शब्दों से हकीकत को बेबाकी से रखा। उन्होंने कहा हम दोनों गांव के ही हैं। जान-पहचान हुई, फिर प्यार हो गया। आज हमारी शादी हो गई है और मैं भी बहुत खुश हूं। प्रेम की वह सादगी, जिसने परंपरागत नैतिकता को भी चुनौती दी और समाज को सोचने पर मजबूर किया।

यह पूरा मामला एक तरह से ग्रामीण न्याय का अनोखा मॉडल भी बन गया, जहाँ आरोप-प्रत्यारोप नहीं, बल्कि समाधान की राह तलाश की गई। आसपास के इलाकों में इस शादी की चर्चा उसी अंदाज़ में हो रही है, जैसे कोई चोरी नहीं बल्कि दिल-दारी पकड़ी गई हो। इश्क़ का यह मुक़दमा बिना एफआईआर, बिना कचहरी, सीधे मंदिर के आंगन में निपट गया। मुजफ्फरपुर की इस घटना ने एक कटाक्ष भरी सच्चाई फिर दोहरा दी साहब, प्रेम कोई अपराध नहीं, लेकिन पकड़े जाने पर उसका फैसला समाज की अदालत ही करती है।

रिपोर्ट- मणिभूषण शर्मा