Muzaffarpur jain monk insulted: मुजफ्फरपुर में दिगंबर जैन मुनि से बदसलूकी, धमकी के बाद हाईवे किनारे मौन, पुलिस सुरक्षा में बढ़ाई गई यात्रा

Muzaffarpur jain monk insulted: जैन मुनि इन दिनों वैशाली में होने वाले बड़े धार्मिक आयोजन स्वर्ण कलश और स्वर्ण ध्वज स्थापना समारोह के लिए बिहार आए हुए हैं।

Muzaffarpur jain monk insulted
जैन मुनि से बदसलूकी- फोटो : social media

Muzaffarpur jain monk insulted: बिहार के मुजफ्फरपुर ज़िले में मंगलवार की सुबह एक बेहद संवेदनशील घटना सामने आई, जहां दिगंबर जैन परंपरा के मुनि उपसर्गजयी श्रमण श्री विशल्यसागर जी के साथ दो युवकों ने दुर्व्यवहार किया। यह मामला देखते ही देखते पूरे इलाके में चर्चा का विषय बन गया और जैन समुदाय में गहरी नाराज़गी फैल गई।

घटना कैसे शुरू हुई?

मुनि श्री विशल्यसागर जी अपने नियमित विहार पर निकले थे और सरैया थाना क्षेत्र के गोपीनाथपुर दोकड़ा के पास NH-722 के किनारे से होकर मड़वन की दिशा में जा रहे थे। तभी बाइक पर सवार दो युवक अचानक पहुंचे और साधु के साथ अशोभनीय भाषा में बात करने लगे। उन्होंने मुनिराज को दिगंबर परंपरा का पालन न करने की बात कही और कपड़ा पहनने के लिए मजबूर किया। जब भक्तों ने परंपरा का कारण बताया, तो युवकों ने गोली मारने तक की धमकी दे दी। इस धमकी ने मौजूद लोगों को डर और तनाव में डाल दिया।

हाईवे के पास मौन में बैठे रहे जैन मुनि

इस अप्रत्याशित घटना के बाद मुनिराज वहीं हाईवे किनारे शांत मुद्रा में बैठ गए और मौन धारण कर लिया। कुछ ही देर में आस-पास के ग्रामीण और जैन समाज के अनुयायी भी वहाँ पहुंचने लगे। घटना की खबर फैलने के साथ तनावपूर्ण माहौल बन गया।

पुलिस की एंट्री

सूचना मिलने पर सरैया थाना पुलिस मौके पर पहुंची। थानाध्यक्ष सुभाष मुखिया ने बताया कि मुनिराज की यात्रा की पूर्व जानकारी पुलिस को नहीं दी गई थी, लेकिन घटना के बाद तुरंत सुरक्षा व्यवस्था की गई। पुलिस टीम ने मुनि श्री को सुरक्षित करजा थाना क्षेत्र के मड़वन तक पहुंचाया, जहां उन्होंने रात का विश्राम किया। पुलिस ने बताया कि दोनों शरारती युवकों की खोज की जा रही है। अभी तक कोई लिखित शिकायत नहीं दी गई, लेकिन पुलिस मामले को गंभीरता से देख रही है।

मुनिराज कहां जा रहे थे?

जैन मुनि इन दिनों वैशाली में होने वाले बड़े धार्मिक आयोजन स्वर्ण कलश और स्वर्ण ध्वज स्थापना समारोह के लिए बिहार आए हुए हैं। वे बासोकुंड स्थित भगवान महावीर जन्मस्थली परिसर में ठहरे थे और आगे की यात्रा सीतामढ़ी तथा मिथिलापुरी की दिशा में जारी है।