Bihar Politics: तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के सामने बड़ी मुश्किल, इस मामले में कोर्ट में सुनवाई, मिलेगी सजा ?

Bihar Politics: यह परिवाद भारतीय सार्थक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर कुमार ओझा ने 18 अप्रैल 2024 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के कोर्ट में दायर किया था। इस मामले में अब सुनवाई होनी है।

Tejashwi and Mukesh
Tejashwi and Mukesh Sahni against complaint filed- फोटो : social media

Bihar Politics:  बिहार विधानसभा चुनाव से पहले नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और वीआईपी सुप्रीमो मुकेश सहनी की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही है। तेजस्वी यादव और मुकेश सहनी के खिलाफ दायर परिवाद पर 22 मार्च को सुनवाई होगी। दरअसल, चुनाव चिह्न विवाद को लेकर विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के संरक्षक मुकेश सहनी, राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव के खिलाफ दाखिल परिवाद को खारिज किए जाने के बाद दायर क्रिमिनल रिवीजन वाद पर 22 मार्च को सुनवाई होगी।

18 अप्रैल 2024 को दर्ज हुआ था मामला

यह परिवाद भारतीय सार्थक पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष सुधीर कुमार ओझा ने 18 अप्रैल 2024 को मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी (CJM) के कोर्ट में दायर किया था। इसमें फर्जीवाड़ा और धोखाधड़ी कर भारतीय सार्थक पार्टी के नाव चुनाव चिह्न के दुरुपयोग का आरोप लगाया गया था।

CJM कोर्ट ने खारिज किया था परिवाद

मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने इस परिवाद को पहले ही खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ सुधीर कुमार ओझा ने प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में क्रिमिनल रिवीजन वाद दायर किया, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है। अब इस मामले की अगली सुनवाई 22 मार्च को होगी।

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क्या हैं आरोप?

परिवाद में अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा ने दावा किया है कि भारतीय निर्वाचन आयोग ने उनकी पार्टी को "नाव" चुनाव चिह्न आवंटित किया था, जो पहले वीआईपी के पास था। आरोप लगाया गया है कि वीआईपी प्रमुख मुकेश सहनी और राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सहनी ने चुनाव चिह्न वापस करने का दबाव बनाया और इसे जबरन प्रचारित-प्रसारित कर रहे हैं। इसके अलावा, महागठबंधन (INDIA) के तहत लोकसभा चुनाव लड़ने वाले वीआईपी नेताओं पर आरोप है कि वे महागठबंधन के बैनर-झंडे पर "नाव" चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कर रहे हैं।ृ

अब आगे क्या?

इस पूरे मामले को लेकर 22 मार्च को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश की अदालत में सुनवाई होगी। अब देखना होगा कि अदालत इस विवाद पर क्या फैसला सुनाती है।