Love Affair: लव स्टोरी में देवर का तड़का, दो सहेलियों ने की शादी, बिहार का कनेक्शन वायरल,जानिए सिंदूर, सूरत और सनसनी वाली दास्तान
Love Affair: दो सहेलियों ने आपस में शादी कर ली एक बनी दुल्हन, दूसरी ने संभाली ‘पति’ की ज़िम्मेदारी। और तीसरी? उसने तो रिश्तों की कढ़ाई में तड़का लगाते हुए खुद को ‘देवर’ बना डाला।

Love Affair: बिहार की मिट्टी में जन्मी कहानियाँ अकसर खेतों की मेड़ों से निकलकर चौपालों तक गूंज जाती हैं, पर नवादा ज़िले के अकबरपुर प्रखंड से निकली यह दास्तान चौपाल से सीधे सुर्खियों में आ धमकी। यह किस्सा केवल प्रेम का नहीं, हमारे समाज के कानून और रिवाज़ अब भी दिल की परिभाषा तय करने पर आमादा हैं।
19 जुलाई की सुबह, जब तीन नाबालिग सहेलियाँ मार्कशीट लाने के बहाने घर से निकलीं, तो किसे पता था कि वे इम्तहान सिर्फ काग़ज़ों का नहीं, बल्कि ज़िंदगी का देने जा रही हैं। दो एक ही गाँव की, तीसरी पड़ोसन गाँव की; तीनों ने दिल के किसी गुप्त कोने में एक ऐसी योजना पाल रखी थी, जिसे सुनकर बड़े-बड़े ‘अक़्लमंद’ भी हैरत में पड़ जाएँ।
तलाश में निकले परिजनों ने दो दिन तक आस-पड़ोस, रिश्तेदारी, यहाँ तक कि मंदिर-मस्जिद तक झाँक मारी, मगर नतीजा सिफ़र। 21 जुलाई को नेमदारगंज थाना पहुँची गुमशुदगी की रिपोर्ट ने कहानी को कानूनी मोड़ दे दिया। पुलिस की सूंघने की ताक़त तब काम आई जब पता चला कि ये तीनों सूरत के पटेल नगर में एक टेक्सटाइल मिल में काम कर रही हैं और वहीं हुआ वह “क़िस्सा-ए-मोहब्बत” जिसे सुनकर लोग चाय के प्याले गिरा दें।
दो सहेलियों ने आपस में शादी कर ली एक बनी दुल्हन, दूसरी ने संभाली ‘पति’ की ज़िम्मेदारी। और तीसरी? उसने तो रिश्तों की कढ़ाई में तड़का लगाते हुए खुद को ‘देवर’ बना डाला। ये दृश्य किसी फ़िल्मी स्क्रिप्ट से कम न था मांग में सिंदूर, कलाई में चूड़ियाँ, और कोने में खड़ी एक ‘देवरानी’ के सपने सजाता देवर।
जब सूरत और नेमदारगंज पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई कर तीनों को बरामद किया और नवादा लाया, तो थाने के बरामदे में बैठे लोग दंग रह गए। यह मंज़र न केवल मोहब्बत की परिभाषा को चुनौती देता था, बल्कि समाज के ठेकेदारों के लिए भी एक अनकहा सवाल खड़ा करता था दिल की अदालत में गवाह कौन होता है, और अपराध की परिभाषा कौन तय करता है?
थाना प्रभारी विनय कुमार के शब्दों में, “यह एक असामान्य मामला है। बयान दर्ज होंगे, फिर कानूनी राह चुनी जाएगी।” मगर सवाल यह भी है कि क्या क़ानून दिलों की धड़कनों की व्याख्या कर सकता है, या फिर यह भी एक ऐसा मामला है जहाँ ‘अदालत-ए-मोहब्बत’ को ही आख़िरी फ़ैसला सुनाना होगा?
नवादा की गलियों में अब यह कहानी हवा की तरह बह रही है कोई इसे विद्रोह कह रहा है, कोई पागलपन, तो कोई इसे अपने ज़माने का सबसे बड़ा इश्क़-ओ-इज़हार मान रहा है। सच जो भी हो, इतना तो तय है कि यह किस्सा बिहार की मिट्टी में आने वाले कई मौसमों तक फुसफुसाया जाएगा।