PATNA - पटना में 1819 शिक्षकों समेत बिहार में 97,000 टीचरों पर क्यों लटकी कार्रवाई की तलवार, DEO भी घेरे में अगर इन शिक्षकों का प्रमाण पत्र मार्च तक अपलोड नहीं किया गया तो संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही शिक्षक वेतन वृद्धि के लाभ से भी वंचित हो सकते हैं।
बिहार में शिक्षा विभाग लगातार ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपग्रेडेशन की परक्रिया के तहत पारदर्शी व्यवस्था को सुचारू करने की कवायद में जुटा है।वर्त्तमान समय में सूबे में शिक्षकों की कुल सख्या साढ़े पांच लाख से अधिक शिक्षक हैं। इसी बीच विभाग को यह जानकारी मिली है की सूबे में अबतक 97 हजार शिक्षकों का प्रशिक्षण प्रमाणपत्र ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर अपलोड नहीं है। साथ ही पोर्टल के अनुसार इन सभी शिक्षकों ने अबतक इस वित्तीय वर्ष (2024-25) में एक बार भी सेवाकालीन प्रशिक्षण प्राप्त नहीं किया है। इनको इस वर्ष एक बार भी प्रशिक्षण के लिए किसी संस्थान से टैग नहीं किया गया है। दरअसल बिहार में सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों को कम से कम साल में एक बार प्रशिक्षण प्राप्त करना अनिवार्य है।
मार्च से पहले करना ही होगा अपलोड वर्ना होगी कार्रवाई
राजधानी पटना समेत विभाग के अनुसार हर जिले में ऐसे शिक्षक चिह्नित किए गए हैं। विभाग ने इसकी सूची सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को भेज दी है। डीईओ अपने- अपने जिला अंतर्गत संस्थानों में इस सूची को भेजेंगे। मालूम हो कि सतत व्यावसायिक विकास (सीपीडी) योजना के तहत राज्य के सरकारी विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों का पांच दिवसीय सेवाकालीन प्रशिक्षण संचालित है। यह प्रशिक्षण शिक्षकों को कक्षा में पढ़ाने के कौशल विकास के लिए दिया जा रहा है। ताकि शिक्षक कक्षा में अपने विषय से संबंधित टॉपिक को बेहतर से बेहतर तरीके से बच्चों को समझा सकें।
साथ अगर इन शिक्षकों का प्रमाण पत्र मार्च तक अपलोड नहीं किया गया तो संबंधित जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीईओ) और शिक्षकों पर कार्रवाई की जाएगी। साथ ही शिक्षक वेतन वृद्धि के लाभ से भी वंचित हो सकते हैं। इस बाबत डीईओ को निर्देश दिया गया है कि शिक्षकों को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर प्रोफाइल अपडेट कराना सुनिश्चित करें। ताकि जिन शिक्षकों ने प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है, उनका नाम हट जाए। शेष शिक्षकों को जल्द से जल्द प्रशिक्षण संस्थान से टैग कर प्रशिक्षण करवाना सुनिश्चित