Patna High Court: टूटा रिश्ता, बिखरे सपने,पत्नी की क्रूरता और परित्याग के बाद कोर्ट से पति को राहत,तलाक की दी मंजूरी

Patna High Court:पटना हाईकोर्ट ने एक लंबे समय से चले आ रहे वैवाहिक विवाद में बड़ा फैसला सुनाते हुए पति को तलाक की मंजूरी दे दी।...

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पत्नी की क्रूरता और परित्याग के बाद कोर्ट से पति को राहत- फोटो : social Media

Patna High Court:पटना हाईकोर्ट ने एक लंबे समय से चले आ रहे वैवाहिक विवाद में बड़ा फैसला सुनाते हुए पति को तलाक की मंजूरी दे दी। जस्टिस पी. बी. बजंथरी की खंडपीठ ने फैमिली कोर्ट के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि पति ने पत्नी पर लगाए गए क्रूरता और परित्याग के आरोप पर्याप्त सबूतों के साथ सिद्ध कर दिए हैं।

यह मामला 1996 में हुए विवाह से जुड़ा है, जहां पति-पत्नी 2006 से अलग रह रहे थे। पति का आरोप था कि पत्नी का व्यवहार अमर्यादित और हिंसक था तथा उसका किसी अन्य व्यक्ति के साथ संबंध था, जिसके कारण दांपत्य जीवन में दरार आ गई। इसके अलावा, पत्नी द्वारा झूठे मुकदमे दायर करने और मानसिक-शारीरिक प्रताड़ना देने के आरोप भी लगाए गए।

मामले को और गंभीर बना देने वाली घटना वह थी, जिसमें पत्नी पर खुद और बच्चों पर केरोसिन डालकर आत्महत्या की कोशिश करने का आरोप लगा। इस दौरान दंपति की बेटी की जलकर मौत हो गई। इस दर्दनाक घटना ने मामले को निर्णायक मोड़ दिया।

बेटे की गवाही ने भी कोर्ट के सामने तस्वीर साफ़ कर दी। बेटे ने बयान दिया कि मां का व्यवहार हिंसक और असामान्य था, जिसके चलते वह अपने पिता के साथ रहने लगा। हाईकोर्ट ने इसे क्रूरता के महत्वपूर्ण सबूत के रूप में स्वीकार किया।

अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि पत्नी 2006 से अलग रह रही है और इस दौरान उसने वैवाहिक संबंध सुधारने का कोई प्रयास नहीं किया। यह परित्याग का स्पष्ट मामला है। इसलिए, फैमिली कोर्ट द्वारा दिया गया तलाक का आदेश सही ठहराया जाता है।

साथ ही, हाईकोर्ट ने पत्नी को ₹50,000 मुकदमेबाजी खर्च के रूप में देने का आदेश दिया और स्थायी भरण-पोषण के लिए अलग से याचिका दायर करने की अनुमति भी प्रदान की।

कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला क्रूरता और परित्याग के आधार पर तलाक देने के मामलों में एक महत्वपूर्ण उदाहरण बनेगा, जो भविष्य में ऐसे विवादों के निपटारे में मिसाल के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है।