बिहार चुनाव 2025 से पहले नीतीश का बड़ा दांव, मानदेय में बड़ा तोहफा, रसोइया, प्रहरी और अनुदेशकों की सैलरी हुई डबल, नीतीश का ऐलान
Nitish Kumar Announcement: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दस्तक से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और बड़ा फैसला लेकर सियासी हलचल तेज़ कर दी है।

Nitish Kumar Announcement: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की दस्तक से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एक और बड़ा फैसला लेकर सियासी हलचल तेज़ कर दी है। शुक्रवार सुबह किए गए अपने ट्वीट के ज़रिए सीएम नीतीश ने ऐलान किया कि राज्य के सरकारी स्कूलों में कार्यरत मिड डे मील रसोइयों, रात्रि प्रहरियों और शारीरिक शिक्षा एवं स्वास्थ्य अनुदेशकों के मानदेय में दोगुनी वृद्धि की गई है।
इस फैसले से लाखों कर्मचारियों को सीधा लाभ मिलने वाला है, जो लंबे समय से मानदेय बढ़ाने की मांग कर रहे थे। इससे पहले राज्य सरकार आशा और ममता कार्यकर्ताओं के मानदेय में भी इज़ाफा कर चुकी है, जिससे साफ संकेत मिल रहा है कि चुनाव से पहले नीतीश सरकार जनाधार मजबूत करने की रणनीति पर तेजी से काम कर रही है।
मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा,“शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ बनाने में रसोइयों, रात्रि प्रहरियों एवं शारीरिक शिक्षा व स्वास्थ्य अनुदेशकों की अहम भूमिका रही है। इन्हें सम्मान देने के उद्देश्य से उनके मानदेय में दोगुनी वृद्धि की गई है।”
सीएम ने यह भी याद दिलाया कि नवंबर 2005 में जब उन्होंने पहली बार सत्ता संभाली, उस समय बिहार का शिक्षा बजट महज 4366 करोड़ रुपये था, जो अब बढ़कर 77690 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। उन्होंने इसे अपनी सरकार की शिक्षा सुधार नीति का प्रत्यक्ष प्रमाण बताया।
नीतीश कुमार ने यह भी कहा कि बड़ी संख्या में शिक्षकों की नियुक्ति, नए विद्यालय भवनों का निर्माण और आधारभूत संरचना का विस्तार शिक्षा व्यवस्था को एक नई ऊंचाई पर ले गया है।
विश्लेषकों का मानना है कि यह कदम न केवल शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने की दिशा में है, बल्कि 2025 के चुनावी समीकरणों को ध्यान में रखते हुए एक सोच-समझी रणनीति भी है। विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूलों से जुड़ी इन श्रेणियों के लाखों कर्मियों पर इस फैसले का सकारात्मक असर पड़ सकता है।
अबदेखना यह होगा कि विपक्ष इस फैसले को "चुनावी स्टंट" बताता है या जनहित में एक सार्थक पहल मानता है। फिलहाल तो सरकार ने यह संदेश दे दिया है कि नीतीश मॉडल अभी पूरी तरह सक्रिय है—और चुनावी रणभूमि में उतरने से पहले एक-एक मोर्चा मज़बूती से साधने में जुटा है।