Bihar School News: बिहार के इतने स्कूलों के पास नहीं है भवन, खुले आसमान के नीचे बच्चे पढ़ने को मजबूर, RTI के खुलासे से शिक्षा विभाग में हड़कंप
Bihar School News: बिहार में शिक्षा विभाग की शिक्षा में सुधार लाने की तमाम कोशिशों के बावजूद अब भी कई खामियां हैं। कई स्कूल के पास अपने भवन नहीं हैं। आरटीआई के खुलासे से हड़कंप मच गया है।

Bihar School News: बिहार में शिक्षा व्यवस्था को सुधारने के लिए तमाम कोशिश की जा रही है। इसके बाद भी शिक्षा विभाग में कई लापरवाही, गड़बड़ी और खामियां सामने आ रही है। इसी कड़ी में शिक्षा व्यवस्था की जमीनी सच्चाई एक बार फिर सामने आई है। RTI एक्टिविस्ट राकेश कुमार राय द्वारा मांगी गई जानकारी के जवाब में शिक्षा विभाग ने स्वीकार किया है कि राज्य के 183 सरकारी स्कूलों के पास अपना भवन नहीं है और ये विद्यालय अब भी खुले मैदान या पेड़ के नीचे संचालित हो रहे हैं। सबसे ज्यादा 34 स्कूल मुजफ्फरपुर जिले में हैं।
इन जिलों में सबसे ज्यादा भवनविहीन स्कूल
विभागीय जवाब के अनुसार मुजफ्फरपुर के 34, सुपौल के 28, अररिया के 21, सिवान के 18, मधेपुरा और मधुबनी के 16-16, पूर्वी चंपारण के 12, गया के 10, सीतामढ़ी के 8 और अन्य जिलों में 1 से 6 स्कूल भवनविहीन हैं।
किराये या दूसरे भवनों में चल रहे हैं 3213 स्कूल
बिहार के 76,073 सरकारी स्कूलों में से 3,213 स्कूल या तो किराए के भवनों में या दूसरे सरकारी विभागों की बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं। 2,925 स्कूल अन्य बिल्डिंग में (बिना किराया), 88 स्कूल अन्य विभागीय भवनों में और 17 स्कूल किराए की बिल्डिंग में संचालित हो रहे हैं।
शिक्षा पर खर्च 20% बजट
सरकार हर साल अपने कुल बजट का करीब 20 प्रतिशत शिक्षा पर खर्च करती है। इसके बावजूद इंफ्रास्ट्रक्चर की हालत जर्जर है। भवनों के अभाव में बच्चे बारिश में भीगते हुए पढ़ने को मजबूर हैं, शिक्षक छाता लेकर पढ़ाते हैं तो वहीं गर्मी में पेड़ के नीचे बैठकर क्लास लगाई जाती है।
शिक्षा मंत्री का बयान
शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने स्वीकार किया है कि कई स्कूल अभी भी भवनविहीन हैं। उन्होंने कहा कि चिह्नित भवनविहीन स्कूलों में चरणबद्ध ढंग से निर्माण कार्य कराया जाएगा। छोटे-छोटे काम जैसे कमरे की मरम्मत, बाउंड्रीवाल, शौचालय आदि प्रधानाचार्य 50 हजार तक की राशि से खुद करा सकते हैं। बड़े निर्माण कार्य मुख्यालय द्वारा कराए जाएंगे।
सरकार की कोशिशें सवालों के घेरे में
हालांकि सरकार दावा कर रही है कि पिछले दो वर्षों में ढाई लाख शिक्षक बहाल किए गए। जल्द 90 हजार और बहाली की जाएगी। मिड-डे मील, ड्रेस, किताबें जैसी योजनाएं चल रही हैं। फिर भी भवन की मूलभूत सुविधा न होना शिक्षा की गुणवत्ता पर सीधा सवाल खड़ा करता है।