Bihar assembly elections: बिहार दौरे से पहले AIMIM चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने इरादे किए साफ, बता दिया कैसे लड़ेंगे इलेक्शन, क्या रहेगा प्लान

Bihar assembly elections: बिहार चुनाव 2025 को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बड़ा दावा किया है। सीमांचल में अपनी पकड़ मजबूत करने के साथ-साथ ओवैसी ने केंद्र सरकार से जाति जनगणना पर भी सवाल उठाए हैं।

Asaduddin Owaisi
Asaduddin Owaisi - फोटो : SOCIAL MEDIA

Bihar assembly election: 2025 के अंत में प्रस्तावित बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर एआईएमआईएम (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। उन्होंने एलान किया है कि इस बार उनकी पार्टी पहले से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेगी और बेहतर प्रदर्शन करेगी। बहादुरगंज से उम्मीदवार की घोषणा के साथ ही उन्होंने साफ कर दिया कि सीमांचल की जमीनी लड़ाई में वह पूरी ताकत से उतरने को तैयार हैं।

2020 में मिली 5 सीटों की सफलता बनी उम्मीद की नींव

पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने 18 सीटों पर चुनाव लड़ते हुए 5 सीटों पर जीत हासिल की थी। यह सफलता सीमांचल के मुस्लिम बहुल इलाकों में आई थी, जहाँ किशनगंज, अररिया, पूर्णिया और कटिहार जैसे जिलों में ओवैसी की पार्टी ने असर दिखाया। माना जाता है कि कई सीटों पर आरजेडी (RJD) की हार का कारण भी एआईएमआईएम के उम्मीदवार ही बने।

सीमांचल में ओवैसी की रणनीति और मुस्लिम वोटबैंक

सीमांचल की राजनीति बिहार में हमेशा से मुस्लिम मतदाताओं के लिए निर्णायक रही है। किशनगंज में मुस्लिम आबादी 67% से अधिक है और यह इलाका ओवैसी के लिए मजबूत गढ़ बन चुका है। उन्होंने अपने हालिया बयानों में इस बात को दोहराया कि जो नेता जनता का साथ छोड़ गए, उन्हें इस बार सबक सिखाया जाएगा।3 मई को बहादुरगंज और 4 मई को अन्य जगहों पर उनकी रैलियों की योजना बनाई गई है, जिससे यह साफ है कि ओवैसी सीमांचल को अपना चुनावी मुख्यालय बना सकते हैं।

जाति जनगणना पर ओवैसी का समर्थन और बीजेपी पर सवाल

जातीय जनगणना पर बोलते हुए ओवैसी ने इसे सामाजिक न्याय की नींव करार दिया। उनका कहना है कि जब तक सही आंकड़े सामने नहीं आते, तब तक वंचित जातियों को न्याय नहीं मिल सकता। उन्होंने ओबीसी आरक्षण की 27% सीमा पर भी सवाल उठाते हुए इसे अपर्याप्त बताया।

ओवैसी ने केंद्र सरकार से सीधे पूछा  कि जाति जनगणना कब शुरू होगी? क्या इसकी रिपोर्ट 2029 के चुनाव से पहले आ पाएगी?"इस सवाल के जरिए उन्होंने केंद्र की मंशा पर भी सवाल खड़े किए और विपक्ष को समर्थन देने की चुनौती दी।

क्या ओवैसी बने रहेंगे सीमांचल के किंगमेकर?

बिहार की राजनीति में ओवैसी की पार्टी भले ही नई हो, लेकिन सीमांचल में उनकी पकड़ मजबूत होती जा रही है। यदि वे इस बार 10 से अधिक सीटों पर असर दिखा पाते हैं, तो यह आरजेडी, कांग्रेस और जेडीयू सभी के लिए मुश्किलें बढ़ा सकता है।ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि एआईएमआईएम कितनी सीटें जीतती है, और क्या वह अगली सरकार के गठन में कोई भूमिका निभा पाएगी या नहीं।