Myanmar cyber slavery: म्यांमार की साइबर गुलामी के चंगुल से बचाकर 6 बिहारियों की घर वापसी, थाईलैंड से रेस्क्यू के बाद पटना लाया गया

Myanmar cyber slavery: म्यांमार की साइबर गुलामी में फंसे छह बिहारियों को बचाकर पटना लाया गया। थाईलैंड से 360 भारतीय रेस्क्यू हुए थे। EOU बिचौलियों पर कार्रवाई करेगी।

Myanmar cyber slavery
बिहारियों की घर वापसी,- फोटो : social media

Myanmar cyber slavery: दक्षिण–पूर्व एशिया में फैले साइबर गुलामी के नेटवर्क से जुड़ा एक और मामला सामने आया है। म्यांमार के म्यावाडी इलाके में स्थित कुख्यात केके पार्क से छुड़ाए गए छह बिहारी युवकों को भारत वापस लाया गया है। ये सभी उन भारतीयों के समूह में शामिल थे, जिन्हें 18 नवंबर को थाईलैंड से रेस्क्यू कर नई दिल्ली पहुंचाया गया था। शुक्रवार सुबह आर्थिक अपराध इकाई (EOU) की टीम ने उन्हें एयरपोर्ट से लेकर पटना पहुंचाया, जहां अब आगे जांच की प्रक्रिया चलेगी।

सिवान से भागलपुर तक

मुक्त कराए गए युवकों का संबंध बिहार के अलग-अलग हिस्सों से है। इनमें सिवान, गया, मुंगेर, भागलपुर और सीतामढ़ी जैसे जिले शामिल हैं। सभी को निर्देश दिया गया है कि वे 24 नवंबर को अपने-अपने साइबर थाना में रिपोर्ट करें। वहां उनसे उन एजेंटों और दलालों के बारे में पूछताछ होगी, जिन्होंने फर्जी नौकरी के नाम पर उन्हें विदेश भेजा था।

EOU की लगातार कार्रवाई

पिछले कुछ महीनों में EOU ने लगातार अभियान चलाकर कई युवाओं को म्यांमार और कंबोडिया जैसे देशों के चंगुल से निकाला है।मार्च और नवंबर में किए गए ऑपरेशनों में अलग-अलग चरणों में कुल 36 लोगों को वापस लाया गया।इन आंकड़ों से साफ है कि बिहार के युवाओं को विदेशी साइबर ठग कई तरीकों से फंसाकर अवैध गतिविधियों में धकेल रहे हैं।

कैसे रचते हैं जाल?

जांच में सामने आया है कि बिहार, झारखंड और छोटे शहरों में सक्रिय एजेंट साधारण नौकरी देने के नाम पर युवाओं को विदेश भेजते हैं।किसी को सेल्समैन, किसी को डाटा एंट्री ऑपरेटर या डिलीवरी से जुड़े कार्य का लालच दिया जाता है, लेकिन जब वे थाईलैंड के जरिए म्यांमार पहुंचते हैं तो उनका पासपोर्ट और मोबाइल तुरंत छीन लिया जाता है।इसके बाद उन्हें जबरन ऑनलाइन ठगी के काम में लगाया जाता है।

लक्ष्य पूरा न करने पर अमानवीय बर्ताव

मुक्त कराए गए युवाओं ने बताया कि हर दिन ठगी का एक निश्‍चित लक्ष्य दिया जाता था।लक्ष्य पूरा न होने पर उन्हें मारा–पीटा जाता था, बिजली से झटका दिया जाता था और कई बार भोजन भी नहीं दिया जाता था।यदि कोई विरोध करता, तो बिचौलिए उसके परिवार से पैसे की मांग करते थे।यह पूरा ढाँचा मानव तस्करी, मनी–लॉन्ड्रिंग और साइबर अपराध का अंतरराष्ट्रीय गठजोड़ है।

बिचौलियों पर जल्द गिरेगी कानून की गाज

EOU ने बताया है कि आगे की जांच में सभी पीड़ितों के बयान लिए जाएंगे, ताकि यह पता चल सके कि उन्हें किस एजेंट ने फांसा, किसने टिकट बनवाया और कौन इन नेटवर्क से जुड़ा हुआ है।जैसे-जैसे जानकारी सामने आ रही है, वैसे-वैसे कई जिलों में बिचौलियों की पहचान तय हो रही है। जल्द ही इन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

विदेशी नौकरी का ऑफर मिले तो तुरंत सतर्क रहें

बढ़ते मामलों को देखते हुए EOU ने लोगों के लिए चेतावनी जारी की है।उन्होंने कहा है कि म्यांमार, थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस जैसे देशों में नौकरी की पेशकश करने वालों पर तुरंत शक करें।किसी भी ऑफर को स्वीकार करने से पहले वीज़ा प्रक्रिया, कंपनी की सच्चाई और काम की प्रकृति की जाँच करना बेहद ज़रूरी है।साथ ही, किसी संदेहास्पद एजेंट की जानकारी तुरंत पुलिस या साइबर थाना को दी जाए, ताकि युवाओं को इस तरह की साइबर गुलामी में फंसने से बचाया जा सके।